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सिफलिस के शरीर पर होने वाले प्रभाव : शुरू-शुरू में तो इस बीमारी में कोई तकलीफ या जलन नहीं होती, लेकिन धीरे-धीरे जब यह बढ़ने लगती है, तो स्त्री-पुरूष के गुप्त अंगों पर घाव बनने शुरू हो जाते हैं और जब इसका जोर कुछ अधिक बढ़ता है, तो यह सारे शरीर पर फूट निकलती है। शरीर में लाल-लाल चकत्ते, दाने, फुन्सियां बनकर उनमें घाव हो जाते हैं।
इस बीमारी में नाक की हड्डी तक गल जाती है तथा इन्द्री में सड़न व बदबू पैदा हो जाती है। जिंदगी जीते जी नरक बन जाती है, क्योंकि इस रोग में मिरगी, लकवा, फालिज, कोढ़ तथा पागलपन तक की शिकायत होने की संभावना बनी रहती है। इस बीमारी की सबसे खास बात यह है कि वर्षों तक इसका पता नहीं चलता, लेकिन धीरे-धीरे अंदर ही अंदर यह रोग बढ़कर रोगी की हालत खराब कर देती है तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी उसकी संतान में भी अपना असर छोड़ती रहती है।
उपदंशनाशक आयुर्वेदिक योग- योग- • मदार की जड़ की छाल 20 ग्राम, गुड़ आवश्यकतानुसार, काली मिर्च 10 ग्राम। • विधि- उपर्युक्त दोनों औषधियों को कूट-पीसकर एक जान महीन चूर्ण कर लें तथा उसके बाद उसको छान लें। • छने चूर्ण को गुड़ मिलाकर ज्वार के बराबर की गोलियों का निर्माण कर लें। सिफलिस गर्मी या उपदंश की चिकित्सा के लिए ये रामबाण अचूक गोलियां हैं, जो सिफलिस को निश्चित रूप से नष्ट कर, रोगी को स्वस्थ कर देती है। • सेवन विधि- 1-1 गोली दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार सेवन करने का निर्देश दें। • खटाई-मिठाई तथा बादी पदार्थों से रोगी को दूर रखें।
योग- • सोना माखी भस्म, सफेद कत्था, छोटी इलायची के बीज, लौंग, रस कर्पूर, समुद्र झाग, नकछिकनी तथा तबाशीर प्रत्येक 10 ग्राम। • विधि- उपर्युक्त समस्त औषधियों को घोंट-पीसकर एक जान कर लें। जब अच्छी तरह पिस जाये, तब सबको पान के रस के साथ खूब घोंट-पीसकर एक जान कर लें। • जब अच्छी तरह पिस जाये, तब सबको पान के रस के साथ खूब घोंटे-खरल करें। • खरल हो जाने के उपरान्त चने के आकार की गोलियों का निर्माण कर लें। • यह योग आतशक-उपदंश, फिरंग की चिकित्सा के लिए अतिशय गुणकारी सिद्ध है। • उपदंश की समस्त अवस्थाओं की चिकित्सा इन योग से हो जाती है और पीड़ित रोगी स्वस्थ हो जाता है। • ये गोलियां सिफलिस को समूल नष्ट कर देती हैं। • इसका प्रभाव सर्वोत्तम शक्तिप्रद होता है। इसका प्रभाव शीघ्र होता है। • सेवन विधि- 1-1 गोली दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार पीड़ित रोगी को सेवन करने के लिए दें।
योग- • शुद्ध जमालगोटे की गिरी 3 ग्राम, चोक 4 ग्राम, काला तिल 3 ग्राम, खुरासानी अजवाइन 6 ग्राम, काली मिर्च 250 मि.ग्रा.। • विधि- उपर्युक्त पांचों औषधियों को एकत्र करें और कूट-पीसकर एक जान महीन चूर्ण कर लें। • उसके बाद उसमें 125 ग्राम पुराना गुड़ मिलाकर 3-4 दिन तक खूब घोंटे-पीसें, खरल करें। • जब ज्ञात हो कि भली-भांति घुटाई हो चुकी है, तब झड़बेरी के आकार की गोलियां बना लें। • गोलियों को किसी सुरक्षित स्थान पर पेंचदार ढक्कन वाले कांच की शीशी में बंद करके रख लें। • ये गोलियां उपदंश की चिकित्सा के लिए रामबाण अचूक होती है। • ये उपदंश-फिरंग को समूल नष्ट कर रोगी को निरोग कर देती है। इसका प्रभाव शीघ्र होता है। • सेवन विधि- 1-1 गोली दिन में 1-2 बार अथवा आवश्यकतानुसार मलाई में लपेट कर सेवन करने का रोगी को निर्देश दें। • तेल, घी, खटाई, मिठाई, लाल मिर्च से रोगी को दूर रहने की हिदायत दें।