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Wait for 5 Second Only…. शिक्षा विमर्श एक परिचय.

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Presentation Transcript


  1. Wait for 5 Second Only…

  2. शिक्षा विमर्शएक परिचय 'दिगन्‍तर'*शैक्षिक विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्‍दी में द्वै-मासिक पत्रिका 'शिक्षा विमर्श' के माध्‍यम से शिक्षक प्रशिक्षण संस्‍थानों, शैक्षिक संस्‍थानों एवं शिक्षा कर्म से जुडे व्‍यक्तियों तक गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक सामग्री उपलब्‍ध करवाने के लिए पिछले तेरह वर्षों से प्रयासरत है। *दिगन्तर(दिगन्‍तर शिक्षा एवं खेलकूद समिति) : जयपुर, राजस्थान स्थित एक स्वैच्छिकसंगठन है जो पिछले ३३ वर्षों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सार्वजनीकरण एवं शिक्षण के तरीकों में बेहतरी के लिए काम कर रहा है। दिगन्तर ग्रामीण समुदाय के वंचित बच्चों के साथ काम करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व वैकल्पिक विद्यालय के विचार का सतत्‌ परिष्कार करता रहा है। इस काम से उपजे अनुभव व समझ के आधार पर शिक्षाक्रम निर्माण, शिक्षक विकास एवं प्रशिक्षण, अकादमिक मदद, शिक्षण सामग्री निर्माण तथा शैक्षिक शोध जैसे क्षेत्रों में सरकार व अन्य सामाजिक संगठनों के साथ काम कर रहा है। Wait for 5 Second Only…

  3. शिक्षा विमर्श की विषयवस्तु lशिक्षा पर ऐतिहासिक सामग्री एवं दार्शनिक चिंतन lसमकालीन शिक्षा-चिंतनlशैक्षिक परिदृश्य के ज्वलंत मुद्दों पर टिप्पणी व बहस lशैक्षिक समस्याओं पर जनमत और निष्कर्ष lसमसायिक शैक्षिक अनुसंधान और तुलनात्मक अध्ययनों का विवरण lविभिन्न प्रशिक्षणों की योजना, तौर-तरीके और अनुभवlशिक्षा-विषयक पुस्तकों का सार व समीक्षा lशिक्षा-विषयक महत्वपूर्ण सामग्री का अनुवाद l शिक्षा के आयाम और इनका अन्तर्सम्बन्ध lशिक्षाविदों और शिक्षकों की डायरियों के अंश lप्रशिक्षण संस्थाओं का परिचय और कार्य-प्रणालीlबच्चों को समझने के लिए व्यवहारिक मनोविज्ञानlशिक्षा पर योजनाकारों के आलेखlविश्व की शिक्षा नीतियों पर टिप्पणीlमहत्वपूर्ण रिपोर्टों का प्रकाशन एवं समीक्षा lविषय-वार अवधारणाओं/पाठों की सफल शिक्षण विधियां आदि। Wait for 5 Second Only…

  4. शिक्षा विमर्श के पाठक विमर्श से जुड़े पाठकों की स्थिति 67 जानमाने शिक्षाविद् 390 व्यक्तिगत भारतभर में 25 राज्यों के पाठकों तक पहुंच। 7 विक्रय प्रतिनिधि 769 संस्थागत Wait for 5 Second Only…

  5. बड़े स्तर पर विमर्श से जुड़े संस्थान Wait for 5 Second Only…

  6. महत्त्वपूर्ण विशेषांक नवम्बर-दिसम्बर, 2009 शिक्षा के अधिकार केन्द्रित विशेषांक नवम्बर-दिसम्बर, 2008 इतिहास विशेषांक जनवरी-जून, 2010 शिक्षा का समाजशास्त्र मार्च-अप्रैल, 2011 नवीनतम प्रकाशित अंक गणित शिक्षण, बाल-साहित्य,पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा,इतिहास शिक्षण,शिक्षा में साझेदारी, शिक्षा का अधिकार, शिक्षा का समाजशास्त्र:I-II पर भी विशेषांक प्रकाशित हो चुके हैं - - - Wait for 5 Second Only…

  7. शिक्षा विमर्श सदस्यता विवरण Wait for 5 Second Only…

  8. शिक्षा विमर्श में जानेमाने शिक्षाविदों के लेख, साक्षात्कार, अनुभव, टिप्पणियां इत्यादि। शिक्षा जगत के और भी बहुत से जानेमाने शिक्षाविद्.... Wait for 5 Second Only…

  9. शिक्षा में गुणवत्ता: एक विवादास्पद अवधारणा -- (शिक्षा विमर्श, सितम्बर-अक्टूबर, 2010) गांधी की नई तालीम -- (शिक्षा विमर्श, जुलाई-अगस्त, 2010) इक्कीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में शिक्षा की गुणवत्ता: भारत की सीख - (शिक्षा विमर्श, मार्च-जून, 2010) शिक्षा का अधिकार कानून -- (शिक्षा विमर्श, नवम्बर-दिसम्बर, 2009) स्कूल में हस्तशिल्प -- (शिक्षा विमर्श, सितम्बर-अक्टूबर, 2008) बालिका सशक्तिकरण में कमी क्या ? -- (शिक्षा विमर्श, मई-जून, 2008) शिक्षा में साझेदार ? -- (शिक्षा विमर्श, जनवरी-अप्रैल, 2008) शिक्षा, विषमता और मानवाधिकार -- (शिक्षा विमर्श, जून-जुलाई, 2003) बुनियादी शिक्षा की प्रासंगिकता -- (शिक्षा विमर्श, मई, 1998) प्रो. कृष्ण कुमार जाने-माने शिक्षाविद्, केन्द्रीय शिक्षण संस्थान, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर। Wait for 5 Second Only…

  10. शिक्षा में गुणवत्ता का विचार - (शिक्षा विमर्श, नवम्बर-दिसम्बर, 2010) शिक्षा का अधिकार अधिनियम: उम्मीद और आशंकाओं के बीच - (शिक्षा विमर्श, नवम्बर-दिसम्बर, 2009) सांस्कृतिक विविधता और शिक्षणशास्त्र: भिन्नता को पाटने--- -(शिक्षा विमर्श, सितम्बर-अक्टूबर, 2009) कक्षा से लक्ष्यों की ओर: शिक्षाक्रम- क्षेत्र का मानचित्रण - (शिक्षा विमर्श, मार्च-अप्रैल, 2009) लोकतंत्र के नाच में शिक्षा की बात - (शिक्षा विमर्श, जनवरी-फरवरी, 2009) एक भरोसेमंद स्कूली व्यवस्था के बारे में विचार - (शिक्षा विमर्श, सितम्बर-अक्टूबर, 2008) शिक्षा में साझेदारी: शिक्षा के प्रतिमानों में गिरावट - (शिक्षा विमर्श, जनवरी-अप्रैल, 2008) शिक्षा में अपवर्जन की प्रक्रिया - (शिक्षा विमर्श, जुलाई-अगस्त, 2007) स्कूली किताबें और अंधश्रद्धा - (शिक्षा विमर्श, जनवरी-फरवरी, 2007) शिक्षा, विवेकशीलता और मतारोपण - (शिक्षा विमर्श, नवम्बर-दिसम्बर, 2006) ; इत्यादि - - - रोहित धनकर जाने-माने शिक्षाविद्, दिगन्तर के मानद सचिव, संप्रतिः अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, बैंगलोर में शिक्षा दर्शन के प्रोफेसर Wait for 5 Second Only…

  11. शिक्षा का अधिकार कानून: नवउदारवाद का नया चेहरा - (शिक्षा विमर्श, नवम्बर-दिसम्बर, 2009) मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिकार विधेयक 2008 - (शिक्षा विमर्श, जनवरी-फरवरी, 2008) सार्वजनिक-निजी ‘साझेदारी’ या लूट - (शिक्षा विमर्श, जनवरी-अप्रैल, 2008) शिक्षा, समानता और भारत की संप्रभुता - (शिक्षा विमर्श, सितम्बर-अक्टूबर, 2006) शिक्षा: सिर्फ ‘कुछ’ के लिए - (शिक्षा विमर्श, अक्टूबर-नवम्बर, 2003) वैश्वीकरण से बदलते भारतीय शिक्षा नीति के सरोकार - (शिक्षा विमर्श, जनवरी, 2001) अनिल सद्गोपाल जाने-माने शिक्षाविद्, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: 2005 की संचालन समिति, केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड एवं राष्ट्रीय स्तर पर बनी विभिन्न शिक्षा समितियों के सदस्य रहे हैं। Wait for 5 Second Only…

  12. शिक्षा और सामाजिक स्तरीकरण - (शिक्षा विमर्श, मार्च-जून, 2010) आधुनिक शिक्षा का विकास - (शिक्षा विमर्श, जनवरी-फरवरी, 2010) शिक्षा का समाजशास्‍त्रीय नजरिया - (शिक्षा विमर्श, सितम्बर-अक्टूबर, 2008) योग्यता का समाजशास्‍त्रीकरण - (शिक्षा विमर्श, मई-जून, 2008) अमन मदान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से समाज विज्ञान में पीएचडी, संप्रति: अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, बैंगलोर में प्रोफेसर। Wait for 5 Second Only…

  13. जो नहीं हो सके पूर्ण काम: मैं उनको करता हूं प्रणाम - (शिक्षा विमर्श, नवम्बर-दिसम्बर, 2010) हमें जो समाज चाहिए - (शिक्षा विमर्श, सितम्बर-अक्टूबर, 2009) विभाजन जारी है - (शिक्षा विमर्श, जुलाई-अगस्त, 2008) जब मुझसे पूछा जाएगा - (शिक्षा विमर्श, मई-जून, 2008) बाल पत्रिका चकमक की समीक्षा - (शिक्षा विमर्श, मार्च-अप्रैल, 2006) आगे और चले तो शायद - (शिक्षा विमर्श, जुलाई-दिसम्बर, 2005) पल्लव हिन्दी की लघु पत्रिका‘बनास’ के संपादक।संप्रति: हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्ववविद्यालय में साहित्य के प्राध्यापक।

  14. पाठ्यचर्या, शिक्षणशास्त्र और मूल्यांकन में फेर-बदल - ए. के. जलालुद्दीन शिक्षक बनने की ओर - समुन्दर सिंह सैंगर, अध्यापक भारतीय शिक्षा में गैर-बराबरी और गुणवत्ता... - पद्मा वेलासकर शिक्षा का सांप्रदायीकरण - यमुना सनी उच्च शिक्षा में आरक्षण - सतीश देशपांडे और योगेन्द्र यादव भारतीय शिक्षा पर टिप्पणी - थॉमस बैबिंगटन मैकाले क्या, कब और कैसे पढ़ाएं - डॉ. जेरोम ब्रूनर के विचार शिक्षा को आलोचनात्मक बनाने के पक्ष में - सुरेश पण्डित ये किताबें बातें नहीं करतीं। ये 'पाठ्यपुस्तकें हैं! - नवनीत बेदार इतिहास क्यों पढ़ें- पीटर एन. स्टर्न स्कूल स्तर पर इतिहास शिक्षण का नजरिया - सी.एन.सुब्रह्मण्यम भाषा शिक्षण: कुछ प्रयोग - रूपा Wait for 5 Second Only…

  15. तू हिंदू बनेगा या मुसलमान बनेगा ? - लतिका गुप्ता त्रुटि-सुधार का नया शास्त्र - शिवरतन थानवी आने वाला खतरा, बड़ा हो रहा है - रघुवीर सहाय बच्चों के लिए लिखनाबच्चों का खेल नहीं - स्वयं प्रकाश शिक्षक शिक्षा को बाजारू बनाने की मुहिम - वेद प्रकाश लोकतंत्र और स्कूली शिक्षा - प्रो. योगेन्द्र यादव स्कूल से भागा हुआ - नवीन सागर बच्चों के साथ कुछ समय - चरण सिंह पथिक सामाजिक न्याय के लिए शिक्षा - कैथी हाइटन बेहतर समाज के निर्माण में पुस्तकालय की भूमिका - दिनेश पटेल हमारे समय के बच्चे - राजेश जोशी और भी बहुत से लेख, साक्षात्‍कार, अनुभव, बहस, अध्‍ययन, शैक्षिक तुलनाएं, शोध, पुस्‍तक समीक्षाएं और व्‍याख्‍यानों के लिए देखिए मूल पत्रिका... Wait for 5 Second Only…

  16. पाठकों की प्रतिक्रियाओं के कुछ अंश... शिक्षा विमर्श हर मायने में एक उत्कृष्ट पत्रिका है। शिक्षा के गहन मुद्दों से अपनी जानकारी बनाए रखने के लिए मैं नियमित रूप से इस पत्रिका का अध्ययन करता हूं। जो लोग शिक्षा के दार्शनिक, सैद्धान्तिक और व्यवहार से जुड़े विषयों पर अपनी समझ बनाना चाहते हैं उनके लिए यह पत्रिका अपरिहार्य सामग्री प्रस्तुत करती है। अनिल बोर्डिया(पूर्व केन्‍द्रीय शिक्षा सचिव;दूसरा दशक, राजस्थान के संस्‍थापक) मैं पिछले पाँच बरसों से ‘शिक्षा-विमर्श’ का नियमित पाठक हूँ और निस्संकोच कह सकता हूँ कि मेरे अपने शिक्षा संबंधी सोच को समृद्ध करने में इस पत्रिका का महत्वपूर्ण योगदान है। भारतीय शिक्षा की वर्तमान समस्याओं से लेकर शिक्षा विषयक दर्शन तक पर ‘शिक्षा-विमर्श’ के हरेक अंक में विचारोत्तेजक सामग्री होती है। शिक्षा संबंधी महत्वपूर्ण प्रयोगों और पहलकदमियों की जानकारी और जरूरी परिप्रेक्ष्य होता है। सबसे बड़ी बात यह कि ‘शिक्षा-विमर्श’ के लिये शिक्षा न तो शुद्ध तकनीकी मामला है और न ही यह पत्रिका हर चीज को समकालीन राजनीति के स्थूल नजरिए से देखती है। कारण यह कि ‘शिक्षा-विमर्श’ की टीम शिक्षा की स्वायत्ता के प्रति भी आग्रहशीलहैऔर उसके सामाजिक संदर्भों के प्रति संवेदनशील भी। ऐसी स्थिति में, स्वाभाविक ही है कि शिक्षा से सरोकार रखने वाले किसी भी व्यक्ति केलिए‘शिक्षा-विमर्श’ एक अनिवार्य पत्रिका बन गयी है प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल (पूर्व प्रोफेसर जे.एन.यू, दिल्ली, वतर्मान में संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य Wait for 5 Second Only…

  17. ‘शिक्षा विमर्श’ में आपका संपादकीय पढ़कर पल भर में मुझे आपके संपादन के प्रारंभ से आज तक के ‘शिक्षा विमर्श’ के तमाम अंक याद आ गए और लगा कि रूबरू बिना मिले भी मैं आपसे एक लंबी मुलाकात करके उठा हूं। कारण यह है कि भाषा, साहित्य और शिक्षातत्व के प्रति जो ललक, दृष्टि व सामर्थ्य रोहित और रीना में मुझे 25 वर्ष पूर्व आमने-सामने बैठे बात करते नजर आई थी वह आज मुझे मात्र एक संपादकीय पढ़कर आपके द्वारा संपादित ‘शिक्षा विमर्श’ के तमाम अंकों से क्षण भर में रूबरू होते नजर आई है और लगता है जैसे मुझे नए प्राण मिले हैं। देख रहा हूं कि आपके संपादन में ‘शिक्षा विमर्श’ बहुत अच्छी प्रगति कर रहा है और नई से नई दृष्टि पाता जा रहा है। मेरी यही मंगलकामना है कि आप इसी तरह अनवरत खुली दृष्टि से शिक्षक और शिक्षा की समझ पाठकों में बढ़ाते रहें, ऐसे ही समर्थ संपादन द्वारा पाठकों में शिक्षा संबंधी नई दृष्टि जगाते रहें। शिवरतन थानवी, मोची स्ट्रीट, फलौदी-342301 जोधपुर, राजस्‍थान

  18. सचमुच शैक्षिक चिंतन एवं संवाद पर इतनी अच्‍छी पत्रिका आप निकाल रहे हैं, जानकर, देखकर काफी प्रसन्‍नता हुई। मुख्‍यत: कई आलेख काफी चिंतन योग्‍य हैं, यथा- कृष्‍ण कुमार के बुनियादी शिक्षा पर विचार। गांधी और टैगोर का तुलनात्‍मक शिक्षा-चिंतन भी अच्‍छा लगा। वहीं नंद भारद्वाज की कविता काफी अच्‍छी लगी। लेव तोलस्तोय की शिक्षाशास्‍त्रीय रचनाओं पर समीक्षा अच्‍छी है। शुभकामनों सहित। कलाधर - स./ कला, पूर्णिया (बिहार) "विमर्श' की समस्‍त सामग्री सारगर्भित और सराहनीय होती है इस पत्रिका को जिन्‍होंने भी पढा, उन सबने प्रशंसा की। नयी सोच विकसित करने हेतु यह पत्रिका महत्‍वपूर्ण है। आज के शिक्षा परिदृश्‍य में यह पत्रिका हम लोगों के लिए एक आधार स्‍तंभ होगी। के. के. मेश्राम, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्‍थान, खैरागढ। "शिक्षा-विमर्श' का अंक प्राप्त हुआ। हिंदी में शैक्षणिक प्रकाशन की ऊचाईयां बनाने में "शिक्षा-विमर्श' अद्वितीय है। ऐसी पत्रिकाएं सामाजिक जीवन में अपनी मूल्यवान भूमिका निबाहती हैं। आशा है, "विमर्श' अपने स्तर को बनाये रखेगी। अपनी पत्रिका "सामान्य जन संदेश' के आगामी अंक में हम "शिक्षा विमर्श' की चर्चाकरेंगे। हरीश अडयालार, लोहिया भवन, सुभाग मार्ग, नागपुर (महाराष्ट्रा)

  19. "विमर्श' की संकल्‍पना बिल्‍कुल सही है। लेखक और पत्रिका पढ़ने वाले पाठक इन दोनों के विचारों को इस पत्रिका में स्‍वतंत्रता दी जाती है। इसमें प्रस्‍तुत किये गये लेख पढ़ने लायक होते हैं। शिक्षा के लिए बहुत ही ज्ञानवर्धक और रोचक लेख प्रस्‍तुत किये जाने से अंक महत्‍वपूर्ण लगता है। शिक्षक के विचारों को जाग्रत करने और उसके महत्‍व को बनाये रखने के लिए पत्रिका महत्‍वपूर्ण काम कर रही है। पत्रिका की भाषा का स्‍तर उच्‍च किन्‍तु बढ़ि‍या होता है। हम महाराष्ट्र वासियों को बड़े ही ध्‍यान से पढ़ना पड़ता है। पत्रिका बहुत सार्थक है। एम. वी. श्रीधर, कोल्‍हापुर (महाराष्‍ट्र) शिक्षा विमर्श का गेटअप नयनाभिराम है, छपाई भी सराहने लायक है। शिक्षा-प्रणाली की जो स्थिति है उसके मद्देनजर "विमर्श' प्रासंगिक ही नहीं अनिवार्य है। हर्ष का विषय यह है किविषय वस्तु के पीछे गहरी सोच है। अत: प्रकाशित रचनाओं को पढ़कर प्रफुल्लित होना स्वाभाविक है। हर अंक में एक कहानी दी जाये जो शिक्षा-परिदृश्य को उभारती हो। रमणिका गुप्ता,नवलेखन प्रकाशन, मेन रोड, हजारी बाग (बिहार)। "शिक्षा-विमर्श' शैक्षिक चिंतन की अद्भुत पत्रिका है। पत्रिका में व्यक्त विचारों को अमल मेंलाकर वर्तमान भारतीय शिक्षा पद्धति पूर्वाग्रहों से मुक्त हो सकती है तथा देश में शिक्षा की स्वस्थ धारा बह सकती है। निर्मल आनन्दी, कोया (राजिम), रायपुर (म.प्र.) Wait for 5 Second Only…

  20. मेरे हिसाब से आप तीन तरह से जरूरी और बेहतर काम कर रहे हैं: (1) एक भारतीय भाषा में प्रकाशन (2) हिंदी में शैक्षिक अवधारणाओं के विश्लेषण हेतु पारिभाषिक पदों और शब्द-विन्यास का विकास और (3) अंग्रेजी न जानने वाले पाठक वर्ग तक नयी चीजोंकी पहुंच। 'प्रतिबिंब' में प्रकाशित सामग्री का भी शैक्षिक महत्व है। अपनी भाषा में शैक्षिक चिंतन और संवाद के लिए पत्रिका ने अच्छा अवसर दिया है। गुरवीन कौर,सेन्टर फोर लर्निंग, तृमुलगरी, सिकंदराबाद, आ.प्र. "शिक्षा-विमर्श' का नियमित पाठक हूं। पत्रिका के बारे में मेरा यह मानना है कि एक अध्यापक के शैक्षिक चिंतन को आगे बढाने में यह महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कररही है। बल्कि मैं तो कहूंगा कि अघ्यापक ही नहीं बल्कि पूरे समाज के प्रति पत्रिका इस उत्तरदायित्व‍का निर्वहन कर रही है। विजय विशाल,मंडी (हिमाचल प्रदेश) इतिहास शिक्षण विशेषांक पढ़ने पर अनोखी एवं सुखद अनुभूति का अहसास हुआ क्योंकि इतिहास जैसे नीरस विषय के शिक्षण की समस्याओं को सरल एवं सुव्यवस्थित रूप में पेश किया गया है, जिससे यह बहस रुचिकर व सुपाठ्य बन गई है। आपका प्रयास सराहनीय है। डॉ. बसन्त बहादुर सिंह, शिक्षा संकाय, राजा बलवन्त सिंह कॉलेज, आगरा-282002 उ.प्र. शिक्षा विमर्श के पाठक एवं रचनात्‍मक सहयोग के रूप में हमें इंतजार है आपकी प्रतिक्रियाओं का...

  21. सदस्यता संबंधी जानकारी शिक्षा विमर्श की उपरोक्त सदस्यता राशि डाक खर्च सहित है। बैंक ड्राफ्ट, मनीआर्डर, नगद अथवा एटपार चैक द्वारा यह राशि ‘दिगन्तर शिक्षा एवं खेलकूद समिति, जयपुर’ अथवा DigantarShikshaEvamKhelkudSamiti, Jaipurकेनाम भिजवा/जमा करवा सकते हैं। The END : LAST Slide संपर्क शिक्षा विमर्श दिगन्तर, टोडी रमजानीपुरा, खो नागोरियान रोड, जगतपुरा, जयपुर-302025 राजस्थान www.digantar.org/vimarsh ; shikshavimarsh@gmail.com Phone 0141-2750230, 2750310; Fax. 0141-2751268 9460271215 (संपादक); 9214181380 (प्रसार प्रबंधन) प्रस्‍तुतकर्ता : ख्‍यालीराम

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