150 likes | 190 Views
Sarojini Naidu was born in Hyderabad on 13 February, 1879. Her father, Aghorenath Chattopadhyay, was a Bengali Brahmin who was the principal of the Nizamu2019s College in Hyderabad. She was educated in Madras, London and Cambridge. Following her time in England, where she worked as a suffragist, she was drawn to Indian National Congressu2019 movement for Indiau2019s independence from British rule.
E N D
सरोजिनी नायडू जन्म -१३फरवरी १८७९ मृत्यु - २ मार्च १९४९ स्थान -हैदराबाद इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। 'द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया'
भारत कोकिला सरोजिनी नायडू जिन्हें हम विशेष रूप से राष्ट्रीय नेता और नारी-मुक्ति की समर्थक के रूप में याद करते हैं। सरोजनी नायडू ने लोगों के अंदर आज़ादी की अलख जगाई थी। मात्र 13 साल की उम्र में उन्होंने ‘लेडी आफ दी लेक’ कविता की रचना की थी। तो चलिए जानते हैं इनके जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास बातें।
गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया।
8 भाई-बहनों में सरोजिनी सबसे बड़ी थीं। ये एक स्वतंत्रता सेनानी, कवि और देश की पहली महिला गवर्नर रही। • सरोजिनी नायडू शुरु से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी, तभी इन्होंने मात्र 12 वर्ष की उम्र में दसवी की परीक्षा में टॉप किया था। • इसके बाद 16 वर्ष की उम्र में वो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए लंदन चली गई। पहले उन्हें लंदन के किंग्स कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला। इसके बाद कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन किया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सरोजिनी ने 19 साल की उम्र में सरोजिनी नायडू ने डॉ गोविंदराजुलू से विवाह कर लिया। डॉ गोविंदराजुलू गैर ब्राह्मण परिवार से थे जबकि सरोजिनी एक ब्राह्मण थीं। उन्होंने अंर्तजातीय विवाह किया जो कि उस दौर में मान्य नहीं था, लेकिन उनके पिता ने उनका पूरा सहयोग किया था।
वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के दौरान वो भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुईं। इस आंदोलन के दौरान वो गोपाल कृष्ण गोखले, रवींद्रनाथ टैगोर, मोहम्मद अली जिन्ना, एनी बेसेंट, सीपी रामा स्वामी अय्यर, गाँधीजी और जवाहर लाल नेहरू से मिलीं।
भारत में महिला सशक्तिकरण और महिला अधिकार के लिए भी उन्होंने आवाज उठायी। उन्होंने राज्य स्तर से लेकर छोटे शहरों तक हर जगह महिलाओं को जागरूक किया।
साल 2020 में सरोजिनी नायडू ने गाँधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
1924 में उन्होंने पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के हित में यात्रा की और अगले वर्ष 1925 में वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं। सरोजिनी नायडू ने 1928 में कांग्रेस आंदोलन पर व्याख्यान देते हुए उत्तरी अमेरिका का दौरा किया।
साल 1930 में गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया जिसमें सरोजिनी ने हिस्सा लिया और गाँधी जी के साथ जेल गईं। साल 1931 के लिए गोलमेज सम्मेलन के अनिर्णायक दूसरे सत्र के लिए वो गांधी के साथ लंदन गईं। वर्ष 1942 के ̔भारत छोड़ो आंदोलन ̕ में भी उन्हें 21 महीने के लिए जेल जाना पड़ा।
गाँधी जी ने उनके भाषणों और प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी थी। अपने पत्रों में गाँधी जी उन्हें ‘मदर’ कहकर संबोधित करते थे।
सरोजिनी नायडू के सम्मान में सन 1964 में उन पर जरी किया गया डाक टिकट |
स्वाधीनता की प्राप्ति के बाद, देश को उस लक्ष्य तक पहुँचाने वाले नेताओं के सामने अब दूसरा ही कार्य था। आज तक उन्होंने संघर्ष किया था। किन्तु अब राष्ट्र निर्माण का उत्तरदायित्व उनके कंधों पर आ गया। कुछ नेताओं को सरकारी तंत्र और प्रशासन में नौकरी दे दी गई थी। उनमें सरोजिनी नायडू भी एक थीं। उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपालनियुक्त कर दिया गया। सरोजिनी नायडू का निधन आजादी के दो साल बाद 2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुआ|