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Why is Hinduism called Sanatan Dharma

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Why is Hinduism called Sanatan Dharma

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Presentation Transcript


  1. िहंदूधम?कोसनातनधम??यॲकहाजाताहै?िहंदूधम?कोसनातनधम??यॲकहाजाताहै? सनातन का अथ? है शा?त। यानी ऐसा स?य िजसे कभी भी िमटाया या झुठलाया न जा सक े । िहंदू और सनातन धम? को मानने वाले इसी स?य क े िस??त पर िव?ास करते ह?। उनका मानना है िक ई?र ऐसी शि?त है जो पूरे ब्र??ड का संचालन कर रही है और वही शा?त भी है। यानी ई?र को कभी भी झुठलाया या िमटाया नहीं जा सकता। िहंदू और सनातन धम? क े लोग ई?र क े इसी शा?त ?व?प पर िव?ास करते ह?। िमलती-जुलती िश?ाओं, वेद-पुराणॲ क े कथन पर दोनॲ ही धम? को मानने वाले लोगॲ का भरोसा ह?। यही कारण है िक सनातन धम? को िहंदू धम? भी कहा जाता है। लेिकन, वेदॲ क े अनुसार सनातन धम? की उ?पि? पृ?वी परस?यताओंयामानवकीउ?पि?सेभीसहस़्?ॲवश?ं पहलेहोगईथी। ऋिष-मुिन इसी धम? की िश?ाओं और वेद-पुराणॲ म? िलखी बातॲ का प्रचार कर रहे थे। िक ं तु, िसंधु घाटी स?यता क े िवकिसत होने क े बाद आय?वत? क े लोगॲ को िहंदू कहा जाने लगा और यहीं से िहंदू धम? भी अि?त?व म? आया। स?य यही है िक िहंदू धम? सनातन सं?क ृ ित का िह?सा है, िजसम? मनु?य क े कत??यॲ का िनध?रण िकया गया है। लोक क?याण क े िलए उसकी िज??मेदारी का िनध?रणभीिकयागयाहैऔरप्रक ृ ितकोजननीमानागया है। सनातनधम?काअथ?ः

  2. सनातन धम? म? तीन शा?त स?यॲ की बात कही गई है। ई?र स?य है, आ?मा स?य है और मो? भी स?य है। मो? क े इसी स?य का माग? बताने वाला धम? सनातन है। यानी ऐसा स?य जो अनािद काल से चला आ रहा है और इसका न अंत है और न ही आिद। सनातनधम?कासू?वा?यहै स?यम, िशवम्, सुंदरम्। यह धम? कहता है िक जीवन का पथ सनातन है और सभी मनु?य व देवता इसी पथ से ही पैदा हुए ह? और उ?ह?मो?कीप्राि?तकरनीहीहै। सभी क े अंदर ई?र क े ?प म? शा?त स?य िव?मान है, िजसे कभी भी िमटाया नहीं जा सकता। इसीिलए इस धम? म? आ?मा क े अजर-अमर व पुन?ज?म की बात भी कही गई है। ?यॲिक, ई?र ?पी आ?मा अका?य है। उसे न तो काटा जा सकता है और उन ही जलाया, िभयोगा या मारा जा सकता है। आ?मा िसफ? अपना शरीर मा? ही बदलती है और संसार म? िवचरण करती है। सनातनी होने का अथ? उस ऊज? को महसूस करना है जो इस संसार की प्र?येक व?तु म? िनिहत है और उसे ई?र ?ारा ही बनाया गया है। वेदॲवपुराणॲम?भीिलखाहैिकसंसारम?कण-कण म?ई?रकावासहैऔरप्र?येकव?तुउसकीहीरचना है। सनातनधम?बनामिहंदु?व: सनातन धम? और िहंदु?व म? कहीं भी कोई िवरोधाभास देखने को नहीं िमलता। दोनॲ धम?ं का धम?शा?? वेद और पुराणॲ म? िलखा हुआ है। िव?ान जब व?तु, िवचार व त?वॲ को मू?य?कन करता है जब कई धम?ं क े िस??त झूठे सािबत हो जाते है। लेिकन, वेदॲ व पुराणॲ म? िलखे तक?ं पर िव?ान भी चिकत हो उठता है। सनातन धम? मो? की बात करता है। उसक े अनुसार ई?र अज?मा है। न ही उसने ज?म िलया है और न ही उसे ज?म लेने की आव?य?ता है। ई?र तक पहुंचने का एक ही माग? भी बताया गया है वह माग?हैमो?। हमारे ऋिषयॲ ने योग और ?यान से ब्र? व ब्र??ड क े कई रह?यॲ से पद? उठाकर मो? क े माग? का िस??त िदया है। मो? क े िबना आ?मा की कोई गित नहीं है। धीरे-धीरे िव?ान भी वेद-पुराणॲ म? िलखी गई इन बातॲ से सहमत होता नजर आ रहा है। जह? तक िहंदु?व की बात है तो पारिसयॲ की धम? पु?तक अवे?ता म? िहंदू और आय? श?द का उ?लेख िमलता है। हाल?िक, इितहासकारॲ क े मुतािबक चीनी या?ी हुएनस?ग क े समय िहंदू श?द की उ?पि? इंदु यानी की च?द से हुई थी। दरअसल, िहंदू धम? म??योितषगणनाकाआधारचंद्रमासहीहै।इसिलएइसे इंदुयानीिहंदूकहाजानेलगा। सनातनधम?क ेिस??तः िजस भी शरीर को आ?मा प्रा?त हुई है या िफर से िजस िकसी ने भी पृ?वी पर ज?म िलया है। उसका कत??य िनध?िरत है। ई?र व जनक?याण क े िलए उसकी क ु छ िज?मेदािरय? ह?। लेिकन, इन िज?मेदािरयॲ को पूरा करने क े बाद ?यि?त को पंचत?व म? िवलीन हो जानाहैयहीसनातनधम?काअंितमऔरअका?यस?यभी है।लेिकन, इसधम?कामूलिस??तहै- ?ान, योग व?ेम।

  3. यानी धरती पर ज?म लेने क े बाद उस ?ान प्राि?त म? लग जाओ जो आपको पता नहीं है। अपने िचंतन, मनन, अनुभव, अ?यास व दश?न से उस अप्रा?त ?ान को प्रा?त करना सनातनी होने का पहला िस??त है। इसक े बाद दूसरा िस??त है योग, अथ?त जो क ु छ आपको नहीं प्रा?त है उसक े िलए योग करना। सनातन धम? सदैव आपको प्र? करने की अनुमित देता है। इसका आशय है िक प्र? करने से ही ?ान की प्राि?त होती है और इसी ?ान से अप्रा?त को प्रा?त िकया जा सकता है। तीसरा िस??त ?ेम की बात करताहै।?ेमकाता?पय?हैर?ाकरना। यानी िक जो क ु छ आपने अपने ?ान व योग से प्रा?त िकया है, उसकी जीवन भर र?ा करो और िमटने न दो साथ ही दूसरॲ तक उस ?ान व योग का प्रसार करो। सनातन धम? यह कभी नहीं कहता िक जो क ु छ िलखा है, वही करो। एक सनातनी को अपने अनुभव व अ?यास क े आधार पर ?वयं अपना माग? खोजना चािहए। ?यॲिक, जो भी ज?मा है उसका माग? तो अलग है िक ं तु मंिजल एकहै।वहहैमो?। सनातन धम? की बातॲ म? अ?य धम?ं की तरह कहीं पर भी िवरोधाभास नहीं िमलता। वेद-पुराण म? िलखी हर एक बात का अथ? ब्र? को ढूंढना ही है यानी उस स?य को पता करना जो पूरे ब्र??ड म? िव?मान है। हमारे ऋिष-मुिनयॲ की बातॲ म? भी यही एक?पता है, उ?हॲने स?य को जैसा देखा जैसा ही संसार क े सामने प्र?तुत कर िदया। लेिकन, बातॲ म? िवरोधाभास है तो उसक े अनुवादकॲम?, उसेसमझनेवालॲम?। Source

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