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नेट-मीटर िंग क्या है? - जाननए इस तकनीक क े बा े में ह ज़रू ी बात भारत में जैसे-जैसे लोग सोलर एनजी की ओर आकर्षित हो रहे हैं, वैसे-वैसे "नेट- मीटररिंग" शब्द भी तेजी से चचाि में आ गया है। लेककन आम आदमी क े ललए यह शब्द अभी भी थोडा जटटल और तकनीकी लगता है। अगर आप भी जानना चाहते हैं ककनेट-मीटर िंग क्या है, यह क ै से काम करता है, और इससे क्या फायदे हैं, तो यह लेख आपक े ललए ही है। नेट-मीटर िंग क्या है?
नेट-मीटररिंग एक ऐसी व्यवस्था है, जजसमें अगर आप अपने घर या व्यवसाय पर सोलर पैनल लगाते हैं और वह आपक े उपयोग से ज्यादा बिजली उत्पन्न करता है, तो उस अततररक्त बिजली को बिजली र्वभाग (डिस्कॉम) को भेजा जा सकता है। इसक े िदले में आपक े बिजली क े बिल से उतनी यूतनट की कटौती कर दी जाती है। नेट-मीटररिंग को टहिंदी में "शुद्ध माप प्रणाली" कहा जा सकता है, जजसमें आपका मीटर आपक े द्वारा खपत की गई और भेजी गई बिजली का अिंतर तनकालता है। नेट-मीटर िंग का काम क ने का त ीका (क ै से काम क ता है?) इस प्रकिया को िेहतर ढिंग से समझने क े ललए एक उदाहरण लेते हैं: मान लीजजए आपने 3 ककलोवाट का सोलर लसस्टम लगवाया है। •टदन क े समय सोलर पैनल 15 यूतनट बिजली उत्पन्न करता है।
•आप उस टदन लसफ ि 10 यूतनट बिजली उपयोग करते हैं। •अततररक्त 5 यूतनट बिजली ग्रिि में भेज दी जाती है। •अि रात में या िाद क े समय जि सूरज नहीिं है, आप ग्रिि से 6 यूतनट बिजली लेते हैं। •नेट-मीटर यह मापेगा कक आपने 5 यूतनट भेजी और 6 यूतनट ली, तो लसफ ि 1 यूतनट का ही भुगतान करना होगा। इसललए, नेट-मीटररिंग क्या है? यह समझें कक यह एक "give and take" प्रणाली है, जहािं आपका सोलर लसस्टम ग्रिि से जुडा रहता है, और बिजली की िचत सीधे आपक े बिल में टदखाई देती है। नेट-मीटर िंग की तकनीकी प्रक्रिया 1.नेट-मीटर की स्थापना – बिजली र्वभाग द्वारा एक र्वशेष मीटर लगाया जाता है जो दोनों टदशाओिं में बिजली क े प्रवाह को मापता है। 2.बिजली का िैलेंस – आपकी खपत और उत्पादन का हर महीने लमलान ककया जाता है।
3.बिल में समायोजन – महीने क े अिंत में नेट यूतनट क े आधार पर बिल िनाया जाता है। नेट-मीटर िंग क े प्रमुख लाभ 1.बबजली बबल में भा ी कमी–जजतनी ज्यादा बिजली आप उत्पन्न करेंगे, उतनी कम आपको खरीदनी पडेगी। 2.अनतर क्त बबजली की बबाादी नहीिं होती – वह ग्रिि में जाकर अन्य उपभोक्ताओिं को दी जाती है। 3.लिंबे समय की बचत – सोलर लसस्टम की लागत कुछ सालों में तनकल आती है और कफर फ्री बिजली। 4.ग्रीन एनजी को बढावा – कोयला और िीज़ल से िनी बिजली पर तनभिरता घटती है। 5.स का ी सब्ससडी औ समर्ान – कई राज्यों में नेट-मीटररिंग को लेकर प्रोत्साहन योजनाएिं हैं। नेट-मीटर िंग क ै से प्राप्त क ें? अगर आप नेट-मीटररिंग शुरू करना चाहते हैं तो नीचे टदए गए स्टेप्स को फॉलो करें: 1.स्थानीय डिस्कॉम की वेिसाइट पर आवेदन करें। 2.अपना सोलर लसस्टम और इन्वटिर BIS अप्रूव्ि और MNRE द्वारा अनुमोटदत रखें। 3.डिस्कॉम तनरीक्षण करता है और कफर नेट-मीटर इिंस्टॉल करता है। 4.अि आपकी यूतनट का बिललिंग नेट-मीटररिंग क े अनुसार होगी।
भा त में नेट-मीटर िंग की ब्थर्नत औ ननयम भारत सरकार ने 2021 में Revised Net-Metering Policy जारी की थी, जजसमें कुछ तनयम लागू ककए गए: •500 ककलोवाट तक क े सोलर लसस्टम क े ललए नेट-मीटररिंग की अनुमतत। •कुछ राज्यों में यह सीमा 10 ककलोवाट या 50 ककलोवाट भी हो सकती है। •1 ककलोवाट से ऊपर क े लसस्टम क े ललए ही नेट-मीटररिंग आमतौर पर उपलब्ध है। •नेट-मीटररिंग क े ललए अलग सेएिीमेंटभी साइन करना होता है। क्या ह कोई नेट-मीटर िंग का लाभ ले सकता है? हााँ, लेककन कुछ शतें होती हैं: •आपकी छत या ज़मीन पर पयािप्त जगह होनी चाटहए। •वहािं पहले से कोई अन्यनेट-मीटररिंग कनेक्शन न हो। •स्थानीय बिजली र्वतरण क िं पनी (डिस्कॉम) की सहमतत आवश्यक होती है।
ननष्कर्ा:- अि तक आपने पूरी जानकारी प्राप्त कर ली होगी ककनेट-मीटररिंग क्या है और यह क्यों जरूरी है। आज क े दौर में जि बिजली महिंगी होती जा रही है और पयािवरण सिंकट िढ़ता जा रहा है, नेट-मीटररिंग एक स्माटि और टटकाऊ समाधान है। यह न लसफ ि आपक े बिजली बिल को कम करता है, िजकक भर्वष्य क े ललए एक हररत और स्वच्छ र्वककप भी प्रदान करता है।अगर आप सोलर लसस्टम इिंस्टॉल करवाने की सोच रहे हैं, तो नेट- मीटररिंग को जरूर अपनाएिं – यह एक िार का तनवेश है जो सालों तक फायदे देता है। For more information visit here: https://sampurnasolar.com/