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पारदर्शी शिकायत - प्रस्ताव प्रणाली भारतीय राजपत्र कानून

पारदर्शी शिकायत - प्रस्ताव प्रणाली भारतीय राजपत्र कानून. (टी.सी.पी). रचनाकारः- योगेश गज्जा. टी.सी.पी तीन पंक्ति का यह प्रस्तावित कानून गरीबी और पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को केवल 4 महिने में हमारे भारत से खत्म कर सकता हैं ।. टी.सी.पी की आवश्यकता.

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पारदर्शी शिकायत - प्रस्ताव प्रणाली भारतीय राजपत्र कानून

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Presentation Transcript


  1. पारदर्शी शिकायत - प्रस्ताव प्रणाली भारतीय राजपत्र कानून • (टी.सी.पी) रचनाकारः- योगेश गज्जा

  2. टी.सी.पी तीन पंक्ति का यह प्रस्तावित कानून गरीबी और पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को केवल 4 महिने में हमारे भारत से खत्मकर सकताहैं ।

  3. टी.सी.पी कीआवश्यकता अगर आपके संभाग में कोई मंत्री या अफसर भ्रष्‍ट हो तो आपके पास क्या कोई ठोस तरीका है उन्हें उनकी कुर्सी से हटाने का......????? आज हमारे पास ऐसे भ्रष्ट अफसरों और मंत्रियों को हटाने के लिये केवल 2 ही विकल्प हैं- धरना/हड़ताल और हस्ताक्षर अभियान

  4. धरना/हड़ताल तो एकदम निरर्थक और बेकार हैंक्योकि हम जानते ही हैं कि हमेशा से सरकार विरोधी धरनों को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और आँसू-गैस से कुचल दिया जाता है। इसी प्रकार हस्ताक्षर अभियान भी निरर्थक ही हैं, क्यूंकि भारतीय सरकार केपास आज भी नागरिकों के हस्ताक्षरों का कोई ब्यौरा नहीं हैं। इसीलिये हस्ताक्षरों को जाँचा नहीं जा सकता हैं और उन्हें झुठलाया जा सकता है।

  5. टी.सी.पी:- आम आदमी का मीडिया आज यदि कोई आम नागरिक जिसके पास कोई बड़ी सिफारिश और बड़ा नाम ना हो तो वह अपनी बात और जरुरी जानकारी जनता तक पहुँचाने के लिए अखबार और टी.वी. का सहारा लेने की कोशिश करेगा टी.वी.और अखबार पर खबर या जानकारी प्रसारित करवाने के लिये लाखोंरुपये की जरुरत होती है, जो आम भारतीय नागरिक नहीं ला सकता है । इसीलियेकुछ पूंजीपति लोगही इस प्रमुख मीडिया तक पहूँच पाते हैं , और सिर्फ अपने फायदे की खबरे ही आम जनता तक पहूँचाते हैं । इस प्रकार कुछ ही लोगों का समाज में वर्चस्व होता है |

  6. लेकिन यदि आम नागरिक के पास अपने शपथपत्र/ऐफेडेविट को स्कैन कर प्रधानमंत्री या अन्य किसी केन्द्रीय सरकार की वेबसाइट पर डालने का अधिकार मिले वह भी 700 जिला कलेक्टरोंमें से किसी के भी दफ्तर जाकर । तो उस नागरिक द्वारा दिया शपथपत्र/एफेडेविट आदि जैसे का तैसा आम भारतीय जनता तक पहूँच जायेगा । इस कारण कोई भी सरकारी और गैर सरकारी व्यक्ति उस ऐफेडेविट के साथ छेड़छाड़ नहीं कर पायेगा । यदि कोई सरकारी अफसर ऐसा करेगा तो वह पकड़ा जायेगा और उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत भी होंगे । आज सभी 700 जिला कलेक्टर के दफ्तरों में स्कैन मशीन, इनटरनेट, स्टाफ आदि सुविधाएं हैं ; इसलिए कलेक्टर के दफ्तर ये प्रक्रिया तुरंत शुरू की जा सकती है | और एक सप्ताह के अंदर ये प्रक्रिया सभी तहसीलदार के दफ्तरों में और एक महीने में सभी बड़े डाक-खानों में शुरू की जा सकती है | इस प्रकार नागरिक के पास हजारों जगह होगी अपनी बात रखने के लिए

  7. किसी भी आंदोलन की सफलता के लिये 3 बातें ज़रुरी हैं - 1. स्पष्टमाँग 2. मांग के समर्थकों की संख्या का ठोस प्रमाण 3. मंत्रियों में नागरिकों का डर और दबाव धरना और हस्ताक्षर अभियान दोनो में ही ना तो समर्थको की संख्या का कोई प्रमाण होता हैं ना ही इससे मंत्रियो के दिलो में जनता का कोई खौफ!!!!

  8. भारत का राजपत्र 1. भारत का राजपत्र एक पुस्तिका है, जो कि लगभग हर सप्ताहकेन्द्रीय और राज्य सरकारें प्रकाशित करती हैं जिसमें मंत्रियों द्वारा कलेक्टर और विभाग सचिव को आदेश दिये जाते हैं। 2. यदि नागरिको को किसी तरह का कोई आधिकारिक बदलाव लाना हो तो, वह मंत्रियों से प्रस्तावित कानून को अगले राजपत्र में डालने की माँग कर सकते हैं।

  9. भारत का राजपत्र भारतीय राजपत्र का नमूना

  10. पारदर्शी शिकायत पारदर्शी शिकायत का क्या अर्थ हैं? एक शिकायत जोकिः- कभी भी, कहीं भी, किसी के भी नागरिक द्वारा दृष्य हो और जाँची जा सके। ताकि कोई भी मंत्री, बाबू , जज या मिडीया उस शिकायत को दबा ना सकें.......!!

  11. पारदर्शी शिकायत प्रणाली (खंड-1= कलेक्टर के लिए आदेश) • कोई नागरिक किसी भी दिन, कलेक्टर कोई शपथपत्र या हलफनामा/एफिडेविट देकर उसे प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर स्कैन करने का आग्रह कर सकता है। • तोकलेक्टर या उसका क्लर्क नागरिक को एक सीरियल नम्बर जारी करेगा और उस पत्रादि को प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर 20रुपये प्रति पेज का शुल्क लेकर डाल देगा।

  12. पारदर्शी शिकायत प्रणाली(खंड-2) (पटवारी के लिए आदेश ; पटवारी = लेखपाल, तलटी) • कोई नागरिक अपने मतदाता पहचान पत्र के साथ आ सकता है और खंड-1 के अनुसार दाखिल किए गये शपथपत्र /ऐफिडेविट/हलफनामे पर अपनी हाँ या ना दर्ज करवा सकता है। • तो पटवारी उस नागरिक की हाँ/ना प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर उसकी मतदाता पहचान पत्र संख्या सहित दर्ज करेगा और 3 रुपए के शुल्क के बदले उसे एक छपी हुई रसीद देगा। • गरीबी रेखा के नीचे वाले नागरिकों के लिये यह शुल्क मात्र 1 रुपए होगा। एस.एम.एस. पर सिस्टम आने पर शुल्क 5 पैसे हो जायेगा • पटवारी नागरिकों को सुविधा देगा कि वह जब चाहे तब निशुल्क अपनी हाँ/ना को बदल सकता हैं। (सुरक्षा धारा = 2 A)

  13. सुरक्षात्मक खंड (सुरखा धारा ) • टी.सी.पी. मेंपटवारी नागरिक को सुविधा देगा कि वह जब चाहे तब अपनी हां/ना को रद्द कर सकता है • टी.सी.पी. में जब लाखों-करोड़ों लोग एक ही बात का समर्थन करेंगे प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर तो उन्हें पैसे से खरीदना संभव नहीं हो पायेगा • लाखों-करोड़ों समर्थकों को हानि पहुचने और डराने धमकाने के लिए लाखों गुंडे भी पालना किसी के लिए संभव नहीं होगा • एफिडेविट को दबाया नहीं जा सकेगा क्योकि वह प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर पूर्णरूप से पारदर्शी होगा • ऐसे शिकायत या एफिडेविट, जिसको लाखों-करोड़ों प्रामाणिक रूप से समर्थन कर रहे हैं, बिना किसी प्रभाव के,उसको मीडिया भी दिखने को मजबूर होगा, नहीं तो उनकी साख पर सवाल उठेगा और उसका धंधा बंद हो जायेगा | • इस तरह आपकी बात पूरे देश में मीडिया के जरिये फ़ैल जाएगी |

  14. पारदर्शी शिकायत प्रणाली (खंड-3) • पारदर्शी शिकायत प्रणाली में हाँ/ना प्रधानमंत्री पर कोई बाध्य नहीं होगा या प्रधानमंत्री के लिए बंधनकारी नहीं होगा। • यदि 37 करोड़ या अधिक भारतीय मतदाता भी प्रस्तावित ऐफेडेविट/शपथपत्र/हलफनामें पर अपनी हाँ दर्ज करवाए, फिर भी प्रधानमंत्री उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिये बाधित नहीं होंगे। • प्रधानमंत्री का निर्णय ही आखिरी निर्णय होगा।

  15. यदि टी.सी.पी प्रधानमंत्री पर बाध्य नहीं हैं तो यह आखिर देश में काम कैसे करेगा? जैसा कि खंड1 और खंड2 बताते हैं- • कोई भी भारतीय नागरिक अपने क्षेत्र के कलेक्टर के दफ्तर जाकर अपनी शिकायत प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डलवा सकता हैं। • देश का कोई भी नागरिक अपने यहाँ कलेक्टर/पटवारी के दफ्तर जाकर, पहचान पत्र दिखाकर, मात्र 3 रुपए का शुल्क देकर अपनी हाँ/ना दर्ज करवा सकता हैया 5 पैसे के एस.एम.एस द्वारा भी हाँ/ना दर्ज कर सकता है। इस तरह टी.सी.पी. में सटीक माँग और समर्थकों की संख्या का ठोस प्रमाण मौजूद है।

  16. अब यदि किसी शिकायत को करोड़ों लोग समर्थन देंगे, वह भी सीधे प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर अपने मतदाता पहचान पत्र संख्या डलवाकर और एक रसीद प्राप्त करके, तो उनकी शिकायत कोई मंत्री, अफसर या मिडिया दबा नहीं सकता हैं क्यूंकि फिर जनता में से कोई भी शिकायत को जैसे के तैसे, बिना कोई रोक-टोक के वेबसाइट पर देख सकता है | फिर वह करोड़ों लोग अपनी मांगों को लेकर अपने क्षेत्र के मंत्रियों और सांसदो पर दबाव डालेंगे जो दबाव सीधा बड़े नेताओं पर और फिर प्रधानमंत्री पर आएगा। फिर विपक्ष भी अपने फायदे के लिये सरकार की नीयत पर सवाल उठायेगा और समर्थक दल भी सरकार पर दबाव बनायेंगे इस तरह चारों ओर का दबाव और सत्ता हाथ से जाने, आदि का डर और जनता के प्रमाण का दबाव प्रधानमंत्री को प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने को विवश कर देगा या अगला प्रधानमंत्री ऐसा करेगा ।

  17. इस तरह पारदर्शी शिकायत - प्रस्ताव प्रणाली, किसी भी आंदोलन की सफलता के लिए ज़रुरी कसौटी पर खरा उतरता है – 1. सटीक और स्पष्ट माँग। 2. मांगे के समर्थकों की संख्या का ठोस प्रमाण। 3. मंत्रियों में नागरिकों का ड़र और दबाव। इस तरह पारदर्शी शिकायत-प्रस्ताव प्रणाली हमारे भारत में काम करेगी। टी.सी.पी. के माध्यम से हम भारत में राईट टू रिकाँल/रिजेक्ट, एम.आर.सी.एम., जैसे जनहित के कानून कुछ ही समय में ला सकते हैं।

  18. अब एक प्रश्न जो कि बेहद आम हैं कि:- किस तरह से टी.सी.पी. को भारत में लाया जा सकता है? जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज सरकार के द्वारा अपनी बात मनवाना कितना मुश्किल काम है। लेकिन जिस तरह तकनीकि क्षेत्र में वैज्ञानिक को कम्पयूटर ईजात करने में दशकों का समय और मेहनत लगी, परन्तु कम्पयूटर बनते ही तकनीकि क्षेत्र में एक नई क्रांती आई और विकास की रफ्तार बढ़ गई। टी.सी.पी. भी कुछ ऐसा ही है, इसे व्यवस्था में लाने के लिये हमें सही दिशा में प्रयत्न करने की जरुरत है और एक बार टी.सी.पी. के आते ही हम दूसरे सभी जरुरी और जनहित के कानून हमारे भारत में आसानी से, कम समय में, लागू करवा सकते हैं।

  19. टी.सी.पी. को भारत में लागू करवाने के कुछ आसानसुझाव • ज्यादा से ज्यादा समर्थक जुटाइऐ, इस ppt. को फेलाइये, नीचे दिये लिंक सें टी.सी.पी. की विस्तृत फाईल डाउनलोड करके औरों को बताइये। • www.righttorecall.info/004.h.pdf • http://righttorecall.info/001.h.pdf • अपने आस पास के नेताओं को पत्र, एस.एम.एस, आदि के माध्यम से टी.सी.पी. के बारे में बताइऐ। • जितने ज्यादा समर्थक होंगे उतना ही अच्छा, इसलिये समर्थन जुटाने के लिए हर यथासंभव प्रयत्न करें। • प्रत्येक सर्मथक का प्रमाण रखिये ताकि टी.सी.पी की माँग सरकार से करने पर सरकार उसे टाल ना सकें।

  20. टी.सी.पी. को लाने के लिए हम मतदाताओं को टी.सी.पी. की जानकारी देकर उन्हें कह सकते हैं कि वे अपने सांसदों और विधायकों को एस.एम.एस. करके यह आदेश दें कि वह तुरंत टी.सी.पी. को अगले राजपत्र में प्रकाशित करें | मतदाताओं तक अखबार में विज्ञापन देकर, पर्चे बांटकर , डीवीडी और इन्टरनेट जैसे साधनों से पहुंचा जा सकता है | सांझा मांग - टी.सी.पी के मांग के साथ ही मतदाता अपने सांसद को यह भी आदेश करें कि वह अपने मोबाइल को वेबसाइट से जोड़े ताकि कोई भी जनता द्वारा भेजा गया एस.एम.एस. वेबसाइट पर अपने आप प्रकाशित हो और पूरी तरह प्रामाणिक रूप से जनता को दिखे और जनता की राय को झुटलाया ना जा सके | ये मांग सभी नागरिकों की एक सांझा मांग होगी जो नागरिकों को एक-जुट करेगी चाहे उनका एजेंडा अलग-अलग भी हो, तो भी |

  21. इस तरह एस.एम.एस भेजने के बाद नागरिक को भेजे गए एस.एम.एस. को अपने फेसबुक वाल और मीटिंग्स में सामूहिक रूप से दर्शा सकते हैं ताकि दूसरों को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिले | • सांसदों को भेजे गए कोड रूप में एस.एम.एस. की एक कोपी कुछ नागरिक अपने वेबसाइट (जैसे www.smstoneta.com) पर भी एकत्र कर सकते हैं | एस.एम.एस. की कोपी भेजने से पहले नागरिक-मतदाता को अपनी पहचान पत्र की प्रति और फोन बिल की प्रति भेज कर अपना पंजीकरण और जांच करवाना होगा | • जनसेवकों को एस.एम.एस.-आदेश भेजना और भेजे गए एस.एम.एस आदेश जनता को दिखने के लिए केवल 5 मिनट लगेंगे | यदि ऐसा कुछ हजार नागरिक भी एक लोकसभा क्षेत्र में करते हैं और वर्त्तमान संसद कोई अच्छा कारण नहीं देता अपना पब्लिक मोबाइल और वेबसाइट को आपस में जोड़ने के लिए तो, वर्तमान सांसद की पोल करोड़ों में खुल जायेगी | और अगले सांसद पर भी ये प्रामाणिक जनता की मांग को लागू करने का दबाव आएगा

  22. एस.एम.एसआदेश का एक उदाहरण मैं (आपका नाम) _______ (निर्वाचन क्षेत्र का नाम) _________,जिसके आप सांसद है | जैसा कि संवेधानिक प्रस्तावना एक नागरिक को अधिकार देती है कि वह अपने क्षेत्र के सांसद को जरूरी आदेश एस एम एस आदि द्वारा भेज सकता है | अपने कर्त्तव्य अनुसार,मैं आपको आदेश देता हूँ कि आप प्रधानमंत्री को आदेश दें कि वह प्रस्तावित ड्राफ्ट को भारतीय राजपत्र में लिखे और हस्ताक्षर करे, जो राजपत्र कलेक्टर को आदेश देगा कि वह नागरिक के शपथपत्र को स्कैन कर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर २० रूपये प्रति पेज के डाले | साथ ही आप अपने मोबाइल नंबर को अपनी सरकारी वेबसाइट से जोड़े ताकि जो एस.एम.एस आपको भेजे जायें वह सभी नागरिक देख सकें | आप सांसदों के मोबाइल नंबर इस लिंक से ले सकते है http://164.100.47.132/LssNew/Members/Statewiselist.aspx

  23. अधिक जानकारी हेतु संपर्क करेः- राईट टू रिकॉल समूह(अपंजिकृत) एस.एम.एस आदेश की अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – सारांश, चैप्टर 55 , www.prajaadhinbharat.wordpress.com फेसबुक पेजः- http://www.facebook.com/RightToRecall टी.सी.पी. के लेखकः- श्री राहुल मेहता http://www.facebook.com/mehtarahulc ई-मेल: info@righttorecall.info

  24. जय हिन्द,जय भारत अपनी शिकायत या सुझाव देने के लिये संपर्क करें - swadeshi.gajja@gmail.com 09571247052 , 07891018820

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