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मांग आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण; कौशलों का प्रमाणन एवं मान्यता स्थिति विश्लेषण – भारत

Home >> Division >> LC and ILAS Division >> Indo EU joint seminar. मांग आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण; कौशलों का प्रमाणन एवं मान्यता स्थिति विश्लेषण – भारत प्रस्तुतीकरण: वाई. पी. शर्मा निदेशक (प्रशिक्षण) रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय Yp_2007@yahoo.com श्रम और रोजगार मंत्रालय

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मांग आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण; कौशलों का प्रमाणन एवं मान्यता स्थिति विश्लेषण – भारत

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  1. Home >> Division >> LC and ILAS Division >> Indo EU joint seminar मांग आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण;कौशलों का प्रमाणन एवं मान्यता स्थिति विश्लेषण – भारत प्रस्तुतीकरण: वाई. पी. शर्मा निदेशक (प्रशिक्षण) रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय Yp_2007@yahoo.com श्रम और रोजगार मंत्रालय http://dget.gov.in

  2. मुख्य केंद्र-बिन्दु स्थिति विश्लेषण– भारत • श्रम बाज़ार आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण • कौशल उन्नयन एवं कार्य-क्षेत्र गतिशीलता • कौशल गतिशीलता के लिए कौशल और मान्यता की बेंचमार्किंग

  3. स्थिति विष्लेषण – भारत“व्यावसायिक शिक्षा (वीई)” और “व्यावसायिक प्रशिक्षण (वीटी)” अंतर्राष्ट्रीय तौर पर “व्यावसायिक शिक्षा” और “व्यावसायिक प्रशिक्षण” शब्दों का प्रयोग एक-दूसरे के बदले में अथवा इसके मिले-जुले शब्द “व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (वीईटी)” के रूप में किया जाता है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में शिक्षा और प्रशिक्षण को पारंपरिक तौर परअलग-अलग कर दिया गया है।

  4. भारत में व्यावसायिक शिक्षा (वीई) एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण (वीटी) • ‘व्यावसायिक शिक्षा’ से ऐसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम के संदर्भ में है जो स्कूलों में 11वीं और 12वीं कक्षा में केंद्रीय तौर पर प्रायोजित योजना ‘माध्यमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण’ के अधीन आती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) पर इसकी पूरी ज़िम्मेदारी है। • व्यावसायिक प्रशिक्षण पृथक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से प्रदान किया जाता है, जो इसी उद्देश्य के लिए स्थापित किए गए हैं। श्रम और रोजगार मंत्रालय पर इसकी पूर्ण ज़िम्मेदारी है।

  5. राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली (एनटीवीएस) प्रबंधन संरचना: राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय व्यावसायिक प्रशिक्षण एक समवर्ती विषय है: नीतियों के निर्माण, मानकों के निर्धारण, पाठ्यक्रम तैयार करने, संस्थाओं/पाठ्यक्रमों की संबद्धता, व्यावसायिक परीक्षण और प्रमाणन के लिए डीजीई&टी नोडल विभाग है। दो त्रिपक्षीय निकाय, नामतः केन्द्रीय प्रशिक्षुता परिषद (सीएसी) और राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) व्यावसायिक प्रशिक्षण के विभिन्न पहलुओं पर केंद्र सरकार को सुझाव देते हैं। संबन्धित राज्यों की राज्य परिषदों द्वारा राज्य स्तर पर व्यावसायिक प्रशिक्षण के संबंध में राज्य सरकारों को सलाह दी जाती है। राज्य सरकारें राज्य स्तर पर व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं।

  6. राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली (एनटीवीएस) प्रबंधन संरचना: राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सरकारी विभाग व्यावसायिक प्रशिक्षण निम्न के मध्य से प्रदान करते हैं:- औध्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) – संबन्धित राज्य के प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण के अधीन। औध्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीसी)- निजी तौर पर वित्त-पोषित और प्रबंधित (कुछ को राज्य सरकार से सहायता भी दी जाती है)

  7. राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली (एनटीवीएस) स्कूल छोड़ने वालों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण : शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस): कक्षा 8वीं से 12वीं पास विद्यार्थियों के लिए 107 ट्रेडों में व्यावसायिक प्रशिक्षण 5000 व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों (आईआरआई/आईटीसी) द्वारा प्रदान किया जाताहै, इसकी अवधि 6 माह से3 वर्ष तक होती है। आईटीआई स्नातक प्रशिक्षण पूर्ण होने और ट्रेड परीक्षण पास करने के उपरांत उन्हें राष्ट्रीय ट्रेड प्रमाणपत्र (एनसीटी) प्रदान किया जाता है और उन्हें अर्श-कुशल उम्मीदवार के तौर पर माना जाता है। प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एटीएस): कक्षा 8वीं से 12वीं पास विद्यार्थियों और आईटीआई प्रमाणपत्र धारकों को 153 ट्रेडों में 20,700 स्थापनाओं द्वारा शॉप-फ्लोर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, इसकी अवधि 6 माह से 4 वर्ष की होती है। प्रशिक्षुओं को ट्रेड परीक्षा पास करने के बाद राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रमाणपत्र (एनएसी) प्रदान किया जाता है और उन्हें कुशल उम्मीदवार के तौर पर माना जाता है।

  8. राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण योजना सेवारत प्रशिक्षण: • दीर्धकालिक, लघु अवधि और विशेष उद्देश्य पाठ्यक्रम भारत सरकार द्वारा विशेष तौर पर स्थापित संस्थानों और चयनित आईटीआई के माध्यम से प्रदान किए जाते हैं। महिलाओं का प्रशिक्षण: • सामान्य आईटीआई में 25 % सीटें आरक्षित। • एक राष्ट्रीय और 10 क्षेत्रीय महिला संस्थान महिलाओं हेतु बुनयादी, उत्तान और अनुदेशक प्रशिक्षण प्रदान करता है। • महिला आईटीआई/विंग्स - 837में 47,000 सीटें

  9. स्कूल छोड़ने वालों के लिए कौशल प्रगति का मार्ग • आईटीआई स्नातक ‘ट्रेड प्रशिक्षु’ के तौर पर प्रवेश ले सकते हैं और कुशल उम्मीदवार के रूप में योग्य बन सकते हैं। • आईटीआई स्नातकों के लिए कार्य-क्षेत्र गतिशीलता–द्वितीय वर्ष में बाद मे प्रवेश का प्रावधान जो पॉलीटेकनिक्स में डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रदान किया जाता है। • व्यावसायिक शिक्षा स्नातक ‘तकनीकी प्रशिक्षु’ के तौर पर प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना के अधीन प्रवेश ले सकते हैं।

  10. श्रमिकों के लिए कौशल प्रगति का मार्ग औध्योगिक श्रमिक डीजीईटी स्थल संस्थानों और विशेष क्षेत्रों हेतु चयनित आईटीआई द्वारा प्रदान किए जाने वाले लघु अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अपने कौशल को उन्नत करते हैं। ये प्रशिक्षित कामगार बहुत ही उच्च कुशल माने जाते हैं। केंद्र तथा राज्यों के स्तर में कई मंत्रालय भी आवश्यकता अनुसार विशेषीकृत प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

  11. राष्ट्रीय कौशल मानक (एनएसएस) और उनके महत्व • एनएसएस की स्थापना प्रारम्भिक तौर पर किसी विशेष व्यावसायिक क्षेत्र के व्यवसाय के लिए श्रमिकों हेतु अपेक्षित आवश्यक न्यूनतम कौशलों तथा ज्ञान की आवश्यकता को निर्धारित करने के लिए किया गया है। • सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों, प्रशिक्षण मानकों, प्रशिक्षण सामग्री को एकीकृत करने के लिए एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। • एक राष्ट्रीय कौशल परीक्षण और प्रमाणीकरण प्रणाली स्थापित की जा सकती है। • कुशल जनशक्ति की योग्यता का आंकलन करने का स्वीकार्य साधन। • देश में और विदेशों के साथ रोजगार और प्रोत्साहन के मामले में गतिशीलता और अवसर। • सीटीएस के तहत 107 ट्रेडों में और एटीएस के अधीन 153 ट्रेडों का विकास किया गया है और लागू हैं।

  12. मांग आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण- वर्तमान परिदृश्य • नए ट्रेडों को नियमित तौर पर शामिल किया जा रहा है यह सुनिश्चित करने के लिए की कुशल श्रम शक्ति रोजगार जन्य उभरते हुये क्षेत्रों मे उपलब्ध है। • ऐसे ट्रेडों को जो बाज़ार की जरूरतों के अनुसार अनावश्यक और पुराने पड़ चुके हैं उन्हें हटाया जा रहा है। • उद्योग के विशेषज्ञों को शामिल करते हुये समय-समय पर पाठ्यक्रमों की समीक्षा और अध्यतन का कार्य किया जाता है।

  13. मांग आधारित व्यावसायिक प्रशिक्षण- वर्तमान परिदृश्यउत्कृष्टता के केंद्र 500 आईटीआई (100 घरेलू और 400 विश्व बैंक के सहयोग से) उत्कृष्टता के केन्द्रों में विकसित किए जा रहे हैं। उत्कृष्टता केन्द्रों की प्रमुख विशेषताएँ हैं: • उद्योग की आवश्यकता के अनुसार लोचक बहु-प्रवेश/बहु-निर्गम, बहु-कुशल मॉड्यूलर पाठ्यक्रम। • उत्कृष्टता केन्द्रों के विकास के प्रत्येक चरण में उद्योगों की सहभागिता, जैसे प्रशिक्षण आवश्यकताओं का मूल्यांकन, पाठ्यक्रम का विकास, प्रशिक्षुओं का चयन और प्रशिक्षुओं का परीक्षण तथा आईटीआई स्नातकों की नियुक्ति में सहयोग।

  14. राष्ट्रीय परीक्षण और प्रमाणन प्रणालीपरीक्षण और प्रमाणन – (औपचारिक प्रशिक्षण के माध्यम से प्राप्त कौशल) देश में अच्छी तरह से स्थापित व्यापार परीक्षण और प्रमाणन प्रणाली. 28 अखिल भारत ट्रेड परीक्षणवार्षिक तौर पर विभिन्न स्तरों में आयोजित किए जाते हैं। आईटीआई/आईटीसी के प्रशिक्षुओं और कंपनियों के प्रशिक्षुओं को राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेड परीक्षण आवश्यक है। लिखित और प्रयोगिक परीक्षाएँ, प्रश्न पत्रों को उद्योगों से ट्रेड विशेषज्ञों को शामिल करके तैयार किया जाता है। परीक्षा पत्रों को शिक्षाविदों द्वारा संशोधित किया जाता है। राष्ट्रीय ट्रेड प्रमाणपत्र और राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रमाणपत्र को एनसीवीटी के तत्वावधान में आईटीआई स्नातकों तथा ट्रेड प्रशिक्षुओं को प्रदान किया जाता है।

  15. राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली (एनटीवीएस) मान्यता – नियोजनीयता परिप्रेक्ष्य सीटीएस और एटीएस के अधीन प्रदान किए गए प्रमाणपत्र को रोजगार हेतु राज्यों और केंद्र सरकार के विभागों/उपक्रमों द्वारा मान्यता प्राप्त है। देश में और विदेशों में राष्ट्रीय प्रमाणन की विश्वसनीयता है। कौशल उन्नयन के बाद औद्योगिक श्रमिकों को संस्थान स्तर पर प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाता है, जो प्रयोजक संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त होता है।

  16. राष्ट्रीय कौशल प्रतियोगिता- विश्व कौशल में सहभागी होने की जरूरत कारीगरों के लिए कौशल प्रतियोगिता- 13 ट्रेड – वर्ष में एक बार प्रशिक्षुओं के लिए कौशल प्रतियोगिता- 15 ट्रेड वर्ष में दो बार- स्थानीय, क्षेत्रीय एवं अखिल भारत स्तर सम्मान: उत्कृष्ट कारीगर, सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु- प्रशस्ति पत्र और नगद पुरस्कार उत्कृष्ट राज्य- प्रशस्ति पत्र एवं रनिंग शील्ड उत्कृष्ट स्थापना- माननीय भारत के राष्ट्रपति से सम्मान पत्र एवं रनिंग ट्रॉफी कार्य कौशल डीजीई&टी तथा सीआईआई द्वारा संयुक्त तौर पर वर्ष में एक बार प्रतियोगिता का आयोजन और सदस्य उद्योगों द्वारा नौ ट्रेडों में। .

  17. विश्व कौशल प्रतियोगिता- सहभागिता • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई भागीदारी नहीं। • भारत ने विश्व कौशल का सदस्य बनने का फैसला लिया और “विश्व कौशल प्रतियोगिता” में सहभागिता की। • विश्व कौशल प्रतियोगिता का आयोजन संयुक्त तौर पर डीजीई&टी तथा सीआईआई द्वारा किया गया जिसे विश्व कौशल प्रतियोगिताओं के क्रम में संशोधित किया जा रहा है। • प्राप्त अनुभवों से देश में प्रदान किए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम को फिर से अभिमुख करने और इसे विश्व स्तरीय बनाने में उपयोगी सिद्ध होगा.

  18. अनौपचारिक क्षेत्र में व्यावसायिक प्रशिक्षण • भारत में श्रमिकों की एक बड़ी संख्या ने अनौपचारिक ढंग से कौशल प्राप्त किया है • वे परिवार की परंपरा/ व्यवसाय या एक लंबे समय से एक ही विशेष व्यापार में रोजगार करते रहते हैं। • प्राप्त कौशल अलग-अलग क्षेत्रों की गतिविधियों में हैं। • भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा है और कुल कार्य बल का लगभग 93% अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में लगा हुआ है। • अपने कौशल प्राप्ति के स्तर का परीक्षण और प्रमाणन के अभाव के परिणामस्वरूप उनकी प्रगति का कोई साधन नहीं है और वे एक जगह स्थिर हो जाते हैं।

  19. परीक्षण और प्रमाणन- अनौपचारिक शिक्षा की मान्यता के लिए पहल अनौपचारिक तौर पर प्राप्त कौशल का परीक्षण और प्रमाणन के लिए प्रणाली शुरू करने की आवश्यकता ऐसे श्रमिकों के कौशल का परीक्षण और प्रमाणन का पहल करना जिन्होंने किसी प्रकार का संस्थागत प्रशिक्षण नहीं लिया है। 3 अनुमोदित अभिकरणों/निकायों और 17 राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वित योग्यता आधारित कौशल मानकों, मुख्य रूप से निर्माण क्षेत्र के लिए, 47 कौशल क्षेत्रों को विकसित किया गया है।

  20. नयी रणनीतियाँ अनौपचारिक क्षेत्र के लिए कौशल विकास आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और कम शिक्षित व्यक्तियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए- - कौशल विकास का एक नया ढांचा विकसित किया जा रहा है। योग्यता उन्मुख रोजगार कौशल प्रशिक्षण मॉड्यूलर आधार पर प्रदान किया जाएगा। योजना में रोजगार कौशल के तहत पांच साल में 1 लाख व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने और प्रमाणित करने की परिकल्पना की गई है। इसके बाद 1 लाख लोग हर साल प्रशिक्षित किए जाएंगे। इन हासिल की गयी योग्यता को सीखने के परिणामों के संदर्भ में व्यक्त किया जाएगा। इस लक्ष्य समूह के कौशल प्रगति के लिए एक राष्ट्रीय योग्यता ढांचा विकसित किया जा रहा है।

  21. आईएलओ की सिफ़ारिशें195 मान्यता तथा प्रमाणन की संरचना में शामिल हैं जिन कौशलों को 17 जून, 2004 को जेनेवा में आयोजित आईएलओ की 97वें अधिवेशन के दूसरे सत्र में अपनाया गया था • देशों का और इस बात का ध्यान दिये बगैर कि उन्हें कहाँ और कब, सीखने के पूर्व या पूर्व के अनुभवों से तथा क्या औपचारिक अथवा अनौपचारिक तौर पर प्राप्त किया गया है, राष्ट्रीय योग्यता संरचना का उपयोग करते हुये सामाजिक साझेदारों के परामर्श में ऐसे उपाय अपनाए जाने चाहिए कि मूल्यांकन का पारदर्शी तंत्र का विकास, कार्यान्वयन तथा वित्तपोषन, मूल्यांकन, प्रमाणन और मान्यता के लिए किया जा सके। • इस तरह की मूल्यांकन पद्धति, वैकल्पिक, गैर-भेदभावपूर्ण और मानकों से जुड़ा होना चाहिए। • राष्ट्रीय संरचना में एक विश्वसनीय प्रमाणन प्रणाली को शामिल किया जाना चाहिए जो यह सुनिश्चित करेगी कि कौशल वहनीय और उद्योगों, उद्यमों रथ शैक्षिक संस्थानों के पूरे क्षेत्र में मान्यता प्राप्त हैं। • प्रवासी श्रमिकों के कौशल और योग्यता की मान्यता और प्रमाणन को सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपबंध तैयार किए जाने चाहिए।

  22. कौशल गतिशीलता • व्यापार और रोजगार के वैश्वीकरण से एक गुणात्मक परिवर्तन दुनिया में आया है। • राष्ट्रीय सीमाओं के पार लोगों का जन – आंदोलन। • जनशक्ति, विदेशी मुद्रा अर्जन और आर्थिक विकास के उत्थान का एक अच्छे स्रोत के रूप में शक्तिशाली बल बन गया है। • लोगों अपने कौशल का उन्नयन करने की दृष्टि से भी पलायन कर रहे हैं। • भारत कुशल, अर्द्ध कुशल और अकुशल श्रमिकों का एक विशाल जलाशय है। • यदि उचित प्रशिक्षण, परामर्श और पुनर्भिविन्यास दिया जाता है, तो भारत युवा देश होने के नाते, भारतीयों की बड़ी संख्या को काम के लिए अन्य देशों में बसा सकता है।

  23. कौशल गतिशीलता- मुद्दे • प्रमाणन को शामिल कराते हुये राष्ट्रीय योग्यता संरचना का विकास यह सुनिश्चित करेगा कि कुशलताएं सीमा पार विदेशों में भी पोर्टेबल और मान्यता प्राप्त हैं। • योग्यता संरचना की परस्पर मान्यता और कौशल मानकों का आपसी समन्यवयन। • श्रमिकों की बाधा मुक्त गतिशीलता। • भारतीय कामगारों के कौशल स्तर को ऊपर उठाना।

  24. कौशल गतिशीलता- पहुँच राष्ट्रीय योग्यता संरचना का विकास • राष्ट्रीय तौर पर सहमत एक संरचना जो हितधारकों के विकास के लिए आवश्यक समझौते को मार्गदर्शन दे और परिलक्षित करे। • इस तरह की संरचना कौशल प्राप्त करने के विभिन्न राष्ट्रीय प्रणालियों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा और पारदर्शिता, गतिशीलता तथा देश में और बाहर काम कर रहे कुशल लोगों को विभिन्न स्तरों की प्रगति की सुविधा मिल सकेगी। 1/4

  25. कौशल गतिशीलता- पहुँच योग्यता संरचना की परस्पर मान्यता और कौशल मानकों का आपसी समन्यवयन • रोजगार क्षेत्रों और स्वीकार्य कौशल मानकों के विकास का परिलक्षण। • योग्यता की एक सुसंगत संरचना के लिए भागीदार देशों के साथ सहयोग समझौता। • आवश्यक कौशल को प्राप्त करने हेतु तंत्र और इसे उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित किया जाना। 2/4

  26. कौशल गतिशीलता- पहुँच श्रमिकों की बाधा/ बाधा-मुक्त गतिशीलता • योग्यताओं की परस्पर मान्यता। • विदेशों की योग्यता का मूल्यांकन करते समय भेदभाव से दूर रहें।(प्रचलन में राष्ट्रीय योग्यताओं को श्रेष्ठ माना जाता है) • नियमित रूप से संपर्क के माध्यम से आपसी विश्वास और विश्वास का निर्माण • मान्यता प्राप्त श्रमिकों को सरल/त्वरित तौर पर वीसा 3/4

  27. कौशल गतिशीलता- पहुँच श्रमिकों के कौशल स्तर को ऊपर उठाना • हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ श्रमिकों के कौशल के मानकों का उन्नयन करने के उपाय। • उपायों में भागीदार देशों के बीच कौशल प्रतियोगिता भी शामिल की जा सकती है। 4/4

  28. दृष्टि • विश्व की कौशल पूंजी • विश्व मानकों के अनुसार कार्य शक्ति के उत्पादन करने हेतु प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का पुनःस्थापन • कार्य शक्ति के कौशल गतिशीलता हेतु अनौपचारिक तौर पर प्राप्त कौशलों की बेंचमार्किंग।

  29. धन्यवाद

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