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अडानी हसदेव परियोजना: सामाजिक और आर्थिक योगदान
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित अडानी हसदेव परियोजना देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम है। यह परियोजना कोयला खनन और बिजली उत्पादन पर केंद्रित है, लेकिन इसके व्यापक सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को लेकर बहस भी खड़ी हो गई है।
सामाजिक और आर्थिक विकास की राह: रोजगार सृजन का महाकुंभ: परियोजना से हजारों लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। अनुमानों के अनुसार, प्रत्यक्ष रूप से 25,000 से अधिक लोगों को खनन, परिवहन, प्रसंस्करण, बिजली संयंत्र संचालन और रखरखाव जैसे कार्यों में रोजगार मिल सकता है।
अप्रत्यक्ष रूप से भी रोजगार के अवसरों की भरमार होगी। आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, परिवहन व्यवस्था, उपकरण रखरखाव, खनिकों के लिए आवास और भोजन व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा संस्थान और मनोरंजन सुविधाएं आदि क्षेत्रों में हजारों लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है।
यह रोजगार सृजन न केवल आय बढ़ाएगा बल्कि क्षेत्र में कौशल विकास को भी बढ़ावा देगा। स्थानीय लोगों को रोजगार देने पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिससे पलायन रुकेगा और क्षेत्र का समग्र विकास होगा।