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Adani Hasdeo
E N D
हसदेव वन और अडानी ग्रुप के संदर्भ में क्या है कोर्ट की राय
इसके दुष्परिणाम से हम जैसे जनजाति के लोगों को काफी हानि होगी और संभावना है कि भविष्य में यह क्षेत्र रहने लायक ही न बचे। इस विरोध के चलते लोगों के द्वारा अडानी ग्रुप के विरुद्ध याचिका दायर की गई और अभी अडानी हसदेव केस सुप्रीम कोर्ट की जाँच के अधीन है। इस मामले में कोर्ट का निर्णय बाकि है मगर सभी पक्षों को देखते हु
वर्तमान में अडानी ग्रुप के द्वारा अलग अलग राज्यों में कई इंडस्ट्रियल और सोशल कॉज प्रोजेक्ट संचालित किए जा रहे हैं। कोयला खनन और पावर इंडस्ट्री के क्षेत्र में भी अडानी ग्रुप व्यापक स्तर पर काम कर रहा है, इसी के लिए अडानी ग्रुप द्वारा छत्तीसगढ़ में कोल माइन की शुरुआत की गई है।
अडानी ग्रुप ने भारत की फाइनेंसियल कंडीशन को बेहतर बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई है। आज भी अपने अलग अलग उद्योगों से अडानी ग्रुप देश के विकास को बेहतर बना रहा है। विकास कार्यों में बढ़ती भागेदारी और लोकप्रियता के कारण इस समूह को कई बार मनगढ़त आरोपों से रूबरू होना पड़ता है।
वर्ष 2014 में केंद्र में नई सरकार के आने के बाद इस क्षेत्र में कोयला खनन को वैध कर दिया गया और अडानी ग्रुप को इसकी जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद यहाँ के ग्रामीण लोगों को बहला फुसलाकर अडानी ग्रुप और सरकार के विरोधियों द्वारा इसका विरोध किया गया। स्थानीय नागरिकों का कहना था कि 2009 में केंद्रीय वन पर्यावरण एवं क्लाइमेट चेंज मंत्रालय द्वारा इस क्षेत्र को खनन हेतु वर्जित घोषित किया जा चुका था तो फिर अब किन नियमों के चलते इसे अनुमति दी गई।