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कैसे उठा अडानी घोटाले का पर्दा: घटनाक्रम की कहानी
अडानी ग्रुप और हिडनबर्ग रिसर्च के बीच का अडानी घोटाला विवाद भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। यह मामला न केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत संवेदनशील है। इस लेख में हम इस घटनाक्रम की पूरी कहानी को विस्तार से समझेंगे, जिसमें हिडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों, अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया, और इस मामले में शामिल विभिन्न संस्थाओं की भूमिकाएँ शामिल हैं।
प्रारंभिक अडानी घोटाला आरोप और हिडनबर्ग रिपोर्ट 2023 की शुरुआत में, 25 जनवरी को, हिडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें अडानी ग्रुप पर गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी और स्टॉक मैनिपुलेशन के आरोप लगाए गए। रिपोर्ट का शीर्षक था “अडानी ग्रुप: कैसे दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी ने कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा धोखा किया”। इसमें कहा गया कि अडानी ग्रुप ने दशकों से विभिन्न तरीकों से बाजार में हेरफेर किया है, जिससे उनके शेयरों की कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ी हैं।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया हिडनबर्ग की अडानी घोटाला रिपोर्ट के जवाब में, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को “बेसलेस” और “दुर्भावनापूर्ण” बताया। उन्होंने कहा कि ये आरोप उनके व्यापारिक हितों को नुकसान पहुँचाने के लिए जानबूझकर किए गए हैं। इसके अलावा, अडानी ग्रुप ने यह भी दावा किया कि हिडनबर्ग का उद्देश्य भारत की छवि को धूमिल करना है। अडानी ग्रुप ने अपने निवेशकों और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने अपने वित्तीय दस्तावेजों की जाँच करने के लिए एक स्वतंत्र ऑडिट टीम को नियुक्त किया और यह भी आश्वासन दिया कि उनकी सभी वित्तीय गतिविधियाँ कानून के अनुरूप हैं। इसके अलावा, अडानी ग्रुप ने एक मजबूत कानूनी टीम गठित की जो हिडनबर्ग के आरोपों का कानूनी जवाब देने के लिए तत्पर थी।
मीडिया कवरेज और जन जागरूकता • इस पूरे अडानी घोटाला घटनाक्रम पर मीडिया कवरेज ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभिन्न समाचार पत्रों और चैनलों ने इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्टिंग की, जिससे आम जनता में जागरूकता बढ़ी। मीडिया ने न केवल हिडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों को उजागर किया, बल्कि अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया और सरकार की भूमिका पर भी ध्यान केंद्रित किया।