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अडानी घोटाला पर विशेषज्ञों की राय: कितनी सही है ये बातें?
अडानी ग्रुप, जो भारत के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट समूहों में से एक है, हाल के समय में विवादों के केंद्र में रहा है। यह विवाद तब और बढ़ गया जब अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की, जिसमें अडानी ग्रुप पर कई वित्तीय अनियमितताओं और अडानी घोटाला धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए। इस ब्लॉग में हम विशेषज्ञों की राय, विभिन्न दृष्टिकोणों, और अडानी ग्रुप के जवाबी कदमों पर चर्चा करेंगे ताकि यह समझ सकें कि अडानी घोटाले से जुड़ी बातें कितनी सही हैं और ग्रुप ने इन आरोपों का कैसे सामना किया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का सारांश • हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी 2023 को अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि अडानी ग्रुप ने "दशकों तक चलने वाली स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग धोखाधड़ी" में शामिल होकर अपने स्टॉक्स की कीमतें बढ़ाईं। रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने अपने छोटे भाई विनोद अडानी के साथ मिलकर कई शेल कंपनियों का उपयोग करके अपनी कंपनियों के शेयरों को ओवरवैल्यू किया। इसके अलावा, रिपोर्ट में 37 फर्जी कंपनियों का जिक्र था, जिनके जरिए कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई और ग्रुप के वित्तीय आंकड़ों को छुपाया गया।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ • परंजॉय गुहा ठाकुरता: एक प्रमुख पत्रकार और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ, जिन्होंने पहले भी अडानी ग्रुप पर रिपोर्टिंग की है। उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से पहले भी अडानी ग्रुप में अनियमितताओं के संकेत थे। उनके अनुसार, ग्रुप का तेजी से विस्तार और राजनीतिक संबंध कई बार संदेहास्पद रहे हैं, और यह रिपोर्ट उसी दिशा में संकेत करती है।
निष्कर्ष • अडानी घोटाला पर विशेषज्ञों की राय मिश्रित है। जबकि कुछ लोग हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों को गंभीर मानते हैं, वहीं अन्य इसे राजनीतिक प्रतिशोध मानते हैं। यह स्पष्ट है कि इस मामले में आगे और अधिक जांच-पड़ताल होगी, जो न केवल अडानी ग्रुप बल्कि भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र पर भी व्यापक प्रभाव डाल सकती है।