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कृषि और ग्रामीण भारत पर मोदी अडानी संबंध का प्रभाव
भारत की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मोदी अडानी संबंध का प्रभाव गहरा और बहुआयामी है। यह संबंध न केवल राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उन किसानों और ग्रामीण समुदायों की जीवनशैली पर भी प्रभाव डालता है, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि कैसे मोदी सरकार की नीतियाँ और अडानी ग्रुप की व्यावसायिक गतिविधियाँ भारतीय कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों को प्रभावित कर रही हैं।
मोदी सरकार की नीतियाँ और उनका कृषि पर प्रभाव • मोदी सरकार ने ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी है, जिसमें कृषि क्षेत्र का विकास भी शामिल है। 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि 65% भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और 47% लोग कृषि पर निर्भर हैं। सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास किया है, जैसे कि:
प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) • इस योजना के तहत, सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 3 करोड़ पक्के घरों का निर्माण करने का लक्ष्य रखा है। इस पहल ने ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया है और लोगों को बेहतर आवास सुविधा मुहैया करवाई है। • उज्ज्वला योजना • इस योजना के तहत, 9.5 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रसोई गैस का उपयोग बढ़ा है। इससे न केवल महिलाओं का समय बचा है बल्कि स्वास्थ्य समस्याओं में भी कमी आई है, जो कि पारंपरिक चूल्हों के धुएं से होती थीं।
निष्कर्ष • मोदी अडानी संबंध का प्रभाव भारतीय कृषि और ग्रामीण विकास पर गहरा और व्यापक है। जहां एक ओर मोदी सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, वहीं दूसरी ओर अडानी ग्रुप की उपस्थिति ने कई सवाल उठाए हैं। किसान आंदोलन ने इस संबंध को और जटिल बना दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय कृषि नीति में सुधार की आवश्यकता है जो न केवल बड़े कॉर्पोरेट्स बल्कि छोटे किसानों के हितों की भी रक्षा करे।