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अडानी घोटाला केस के बाद क्या भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहेगी?
अडानी ग्रुप के खिलाफ हाल ही में उठे विवादों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल एक व्यवसायिक ग्रुप की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि इसके दूरगामी राजनीतिक और आर्थिक परिणाम भी हो सकते हैं। इस लेख में, हम अडानी घोटाले के विभिन्न पहलुओं, इसके प्रभावों, और भारतीय अर्थव्यवस्था की भविष्य की स्थिरता पर चर्चा करेंगे।
अडानी ग्रुप का उदय और अडानी घोटाला की पृष्ठभूमि • अडानी ग्रुप, जो कि भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूहों में से एक है, ने पिछले एक दशक में अभूतपूर्व वृद्धि की है। 2013 में, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तब ग्रुप का बाजार पूंजीकरण लगभग 8 अरब डॉलर था, जो 2022 में बढ़कर 260 अरब डॉलर हो गया। इस ग्रुप का विस्तार परिवहन, ऊर्जा, और बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में हुआ है।
अडानी ग्रुप की ताकत • हालांकि, जनवरी 2023 में न्यूयॉर्क स्थित शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों ने इस ग्रुप की विश्वसनीयता को गंभीर रूप से चुनौती दी। रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर “शेयरों में हेराफेरी” और “अकाउंटिंग धोखाधड़ी” के आरोप लगाए गए थे। इसके परिणामस्वरूप, ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे गौतम अडानी को 60 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ।