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अडानी मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां: कानूनी दृष्टिकोण से समझना
अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच विवाद ने न केवल भारतीय वित्तीय बाजार में हलचल मचाई, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चाएं उत्पन्न कीं। जनवरी 2023 में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिसमें वित्तीय गड़बड़ी, कंपनी की देनदारियों को छुपाने और स्टॉक मूल्य को गलत तरीके से बढ़ाने जैसे मुद्दे शामिल थे। इन आरोपों के बाद, अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई और निवेशकों के बीच अनिश्चितता की भावना उत्पन्न हुई।
हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया और अडानी सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण कानूनी टिप्पणियां की गईं। इस पूरे प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की भूमिका, और विशेषज्ञ समिति के सुझावों ने कानूनी और वित्तीय दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है।
अडानी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय • सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी 2024 को इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि अडानी सुप्रीम कोर्ट जांच को किसी विशेष जांच दल (SIT) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) इस मामले की जांच के लिए पूरी तरह से सक्षम है।
SEBI की जांच का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि नियामक संस्था ने 24 में से 22 मामलों की जांच पहले ही पूरी कर ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को बाकी बचे मामलों की जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया। अदालत का यह दृष्टिकोण इस बात का प्रतीक है कि न्यायपालिका बाजार नियामक संस्थाओं की स्वतंत्रता और कार्यकुशलता में विश्वास रखती है।