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हिंडनबर्ग रिपोर्ट: क्या अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों में सच्चाई है?
परिचय: जनवरी 2023 की 24वीं तारीख भारतीय शेयर बाजार के लिए एक तूफानी दिन साबित हुई। अमेरिका की एक फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप, भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक, पर एक विस्फोटक रिपोर्ट जारी की।
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हिंडनबर्ग रिसर्च – अडानी ग्रुप विवाद की जड़ें: हिंडनबर्ग रिसर्च की स्थापना नाथन एंडरसन द्वारा की गई थी, जो एक निवेश शोधकर्ता हैं और जिन्हें बाजारों में धोखाधड़ी को उजागर करने के लिए जाना जाता है। फर्म मुख्य रूप से “शॉर्ट-सेलिंग” रणनीति का उपयोग करती है, जिसका मतलब है कि वे उन कंपनियों के शेयरों को उधार लेते हैं जिनके बारे में उन्हें लगता है कि भविष्य में उनके मूल्य में गिरावट आएगी। फिर वे इन शेयरों को तुरंत बेच देते हैं, इस उम्मीद में कि बाद में कम कीमत पर इन्हें वापस खरीद सकेंगे और लाभ कमा सकेंगे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया कि उन्होंने अडानी ग्रूप के बारे में दो साल से अधिक समय से शोध किया था और पाया कि समूह दशकों से एक “बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी” में लिप्त है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का सार: अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं: • कॉर्पोरेट गवर्नेंस में कमी: रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि अडानी ग्रुप की कई कंपनियों में अपारदर्शी स्वामित्व संरचना है। रिपोर्ट के अनुसार, अडानी परिवार के निकट संबंधियों और अपतटीय खातों (ऑफशोर अकाउंट्स) के माध्यम से कंपनियों का एक जाल बिछाया गया है। हिंडनबर्ग ने दावा किया कि इस जटिल स्वामित्व संरचना का उपयोग शेयर बाजार में हेरफेर करने और कॉर्पोरेट लाभों का हेरफेर करने के लिए किया जा सकता है।