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अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया: हिंडनबर्ग रिपोर्ट का खंडन
2023 की शुरुआत में, शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों ने भारतीय शेयर बाजार में तूफान ला दिया। हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप पर कॉर्पोरेट गवर्नेंस में खामियां, लेन-देन में अनियमितताएं और शेयर कीमतों में हेरफेर जैसे गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों से अडानी ग्रुप की साख को गहरा धक्का लगा और उसके शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई। निवेशकों में बेचैनी का माहौल बन गया और भारतीय वित्तीय बाजार की स्थिरता भी प्रभावित हुई।
अडानी ग्रुप का तीव्र खंडन: अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का तीखे शब्दों में खंडन किया। समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को “दुर्भावना से प्रेरित”, “निराधार” और “झूठी सूचनाओं का पुलिंदा” बताया। समूह ने एक विस्तृत खंडन जारी करते हुए दावा किया कि रिपोर्ट में तथ्यात्मक त्रुटियों और गलत व्याख्याओं का जाल बिछाया गया है।
खंडन के प्रमुख बिंदुओं का विश्लेषण: • अडानी ग्रुप ने स्पष्ट किया कि उसकी सभी कंपनियां कॉर्पोरेट गवर्नेंस के सख्त मानदंडों का पालन करती हैं और सभी नियामक दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करती हैं। • समूह ने दावा किया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने उसकी वित्तीय स्थिति और लेन-देन के बारे में भ्रामक और गलत जानकारी पेश की है। समूह ने आरोपों का बिंदुवार जवाब देते हुए कहा कि उसके लेन-देन पारदर्शी हैं और बाजार नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाता है।
अडानी ग्रुप ने यह भी आशंका जताई कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जानबूझकर शेयर बाजार में अस्थिरता पैदा करने और समूह की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए जारी की गई थी। समूह ने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे का मकसद शेयरों की कीमतों में गिरावट लाकर फायदा कमाना था।