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क्या होगा अडानी हिंडनबर्ग केस में कोर्ट का अंतिम फैसला?
जनवरी 2023 में अमेरिका की हिंडनबर्ग एजेंसी द्वारा अडानी ग्रुप के विरुद्ध अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के माध्यम से आरोप लगाया है कि अडानी ग्रुप ने देश और विदेश में अनेक गलत तरीकों से निवेशकों और अन्य लोगों का पैसा अपने खातों में जमा किया है। मगर अभी इस मामले में सुनवाई और जाँच चल रही है इसलिए इन आरोपों में कितनी सच्चाई है यह फैसला आने पर पता लगेगा। मगर अडानी ग्रुप ने इस देश की प्रगति में जो योगदान दिया है उसे देखकर अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर विश्वास करना उचित नहीं लगता।
आखिर अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में क्या लिखा है? हिंडनबर्ग अमेरिकी मूल की एक शाॅर्ट सेलिंग फॅर्म है जिसकी शुरुआत नाथन एंडरसन द्वारा 2017 में की गई थी जिसकी विशेषता फॉरेंसिक फाइनेंसियल रिसर्च के क्षेत्र में है। अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप ने कथित तौर पर मॉरीशस, यूएई और कैरेबियन द्वीप समूह जैसे टैक्स-हेवन जगहों पर नकली या नाजायज टर्नओवर उत्पन्न करने और सूचीबद्ध कंपनियों से पैसा निकालने के प्रयास में जाली आयात/निर्यात दस्तावेज बनवाए। रिपोर्ट में दर्शाया गया कि तीन साल पहले अडानी ग्रुप की नेट वर्थ करीब 120 बिलियन डॉलर थी जो इतने कम समय में 100 बिलियन डॉलर से बढ़ चुकी है, किसी ग्रुप की कमाई में इतना उछाल होना यही बताता है कि कहीं न कहीं गलत तरीकों से प्रॉफिट कमाया गया है।
हिंडनबर्ग एजेंसी ने कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी अडानी ग्रुपद्वारा लम्बे समय से की जा रही है फिर भी इस पर अब तक कोई जाँच या एक्शन नहीं लिया या फिर इस मामले को उजागर नहीं किया गया। एजेंसी ने रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि हमें इस रिपोर्ट को तैयार करने में 2 साल का वक़्त लगा है और अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट से यह बात निकलकर आई कि अडानी ग्रुप ने करीब 18 ट्रिलियन इंडियन रूपीस यानी लगभग 220 बिलियन युएस डॉलर का घोटाला किया है। इसमें अडानी ग्रुप की अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पॉवर, अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी एंटरप्राइज, अडानी पोर्ट्स, अम्बुजा सीमेंट्स, एसीसी और अडानी विल्मर कंपनीज शामिल है
जिनके शेयर्स का दुरूपयोग करके अडानी ग्रुप ने निवेशकों और शेयर धारकों को धोखे में रखकर केवल अपना फायदा देखा। अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारीयों का कहना है कि इतना बड़ा स्कैम करने के बाद जब अडानी ग्रुप से इस विषय में जवाब माँगा तो कुछ सवालों के अधूरे जवाब देकर ही हमें नज़रंदाज़ कर दिया गया। जिन मुख्य बातों पर एजेंसी द्वारा प्रश्न किए गए उनकी बात न करते हुए अडानी ग्रुप ने अन्य प्रकार से उत्तर देते हुए इस मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया जिसके बाद हमें भारतीय न्यायपालिका को इस मामले में सूचित करना पड़ा जिसकी जाँच चल रही है।