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हिंडनबर्ग रिपोर्ट से नीचे गिरा अडानी का मार्केट
कुछ दिनों से हिंडनबर्ग रिपोर्ट, अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट, अडानी हिंडनबर्ग केस ये शब्द हर न्यूज़ चैनल पर, सोशल मीडिया पर और समाचार पत्रों में सुनने/पढ़ने को मिल रहा है। हमारे देश के बड़े उद्योग समूह अडानी ग्रुप पर अमेरिका की एक कंपनी हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट के माध्यम से आरोप लगाया है कि, गौतम अडानी अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए गैरकानूनी तरीकों का सहारा ले रहे हैं और देश और जनता की संपत्ति का गबन कर रहे हैं। हिंडनबर्ग एजेंसी क्या है ? हिंडनबर्ग वर्ष 2017 में स्थापित की गयी एक शाॅर्ट सेलिंग फॅर्म है जो मुख्यतः फॉरेंसिक फाइनेंसियल रिसर्च का कार्य करती है। इसकी स्थापना नाथन एंडरसन द्वारा की गयी थी और इसका हेडक्वार्टर न्यूयार्क में स्थित है। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने करीब 400 पन्नों की रिपोर्ट के माध्यम से अडानी ग्रुप पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट पेश करते हुए अमेरिकी इनवेस्टिगेशन ऑफिसर ने कहा है कि इस रिपोर्ट को तैयार करने में हमें 2 साल का वक़्त लगा है, इसके लिए हमने अडानी ग्रुप से जुड़ी विभिन्न कंपनियों के महत्वपूर्ण दस्तावेज को जाँचा और कई पूर्व अधिकारीयों से बात की है। लम्बे समय तक चली पूछताछ और जाँच के आधार पर ही हमने यह रिपोर्ट बनाई है जिससे अडानी ग्रुप द्वारा किए गए घोटाले सामने आए हैं।
जानें हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के बारे में ? हिंडनबर्ग एजेंसी का दावा है कि पिछले 5 दशकों से चल रहे अडानी उद्योग में अनेकों बार मुनाफा कमाने के उद्देश्य से धोखाधड़ी की गई है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी समूह ने भारत में अपनी लिस्टेड कंपनियों के शेयरों के भाव में हेराफेरी करने के लिए मॉरीशस में बनाई गई फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया है। इस दावे को मॉरीशस की सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। बीते दिनों मॉरीशस के वित्तीय सेवा मंत्री ने संसद में बताया कि देश में अडानी समूह की फर्जी कंपनियों के मौजूद होने का आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट झूठ और आधारहीन है। उन्होंने अडानी समूह के मामले को लेकर स्पष्ट तौर पर कहा कि अब तक ऐसा कोई भी उल्लंघन नहीं पाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में अटका अडानी हिंडनबर्ग केस अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा था। केस की निष्पक्ष जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया (सेबी) को इस केस से सम्बन्धित सभी ज़रूरी जानकारी कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे। सेबी द्वारा दस्तावेज जमा करने के बाद 13 अक्टूबर 2023 को इस केस की सुनवाई होना थी जिसे कोर्ट ने 20 अक्टूबर 2023 तक बढ़ा दिया था। अभी यह केस न्यायालय की जाँच के अंतर्गत है और इससे जुड़े निष्कर्ष का सभी को इंतज़ार है।
सुप्रीम कोर्ट का एक स्पेशल पैनल इस केस की तहक़ीक़ात कर रहा है और जल्दी ही यह निर्णय हो जाएगा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट वाकई में सच है या केवल गौतम अडानी को बदनाम करने के लिए किया गया प्रोपोगंडा है। इस विवाद से देश में जो भी स्थिति बनी हो परन्तु गौतम अडानी के प्रतियोगियों और आलोचकों के बीच ख़ुशी का माहौल बना हुआ है। अब आगे देखना होगा कि उनकी यह खुशी कितने दिनों तक उनके चेहरों पर दिखाई देती है। आनेवाला निर्णय जो भी हो पर यह बात तय है कि इस मामले में निर्णय आने के बाद देश की आर्थिक और राजनितिक दोनों ही परिस्थितियों में व्यापक बदलाव देखने को मिलेगा।
अडानी हिंडनबर्ग केस की ख़बरें आने बाद से अडानी ग्रुप के मार्केट पर गहरा असर पड़ा है। इससे अडानी ग्रुप से जुड़े दूसरे लघु उद्योग, व्यापारी और निवेशक सभी की चिंताएं बढ़ गई है। हालाँकि बीते समय की बात करें तो अडानी ग्रुप पर पहले भी ऐसे आक्षेप अलग अलग संस्था या संगठन द्वारा लगाए गए हैं, लेकिन किसी भी मामले में गौतम अडानी या उनके उद्योग पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। अभी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में अंतिम निर्णय आना बाकि है पर अभी तक इस मामले में अडानी ग्रुप को हर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्लिन चिट मिला है। फिर भी अडानी ग्रुप के इतिहास को मद्देनज़र रखते हुए सोचा जाए तो आशा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला गौतम अडानी के पक्ष में ही होगा। ऐसी उम्मीद करना इसलिए भी उचित है क्यूँकि विश्व स्तर पर भारत के नाम को उपेक्षित किया जाए यह एक भारतीय के रूप में हम सभी को स्वीकार नहीं होगा।