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शिव आरती हिंदी में

Here we provide the Shiv Aarti in Hindi PDF, a devotional hymn dedicated to Lord Shiva. If you want to know about Lord Shiva, then visit shrishivchalisa.com; from there, you can download Shiv Aarti, Chalisa, Mantra, and Stuti.

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शिव आरती हिंदी में

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Presentation Transcript


  1. ?शव आरती: महादेव क? म?हमा का गान भारतीय सं?कृ?त म? देवी-देवताओं क? पूजा और आराधना ?वशेष मह?व रखती है। ?शव जी, भगवान ?शव, हमारे सं?कृ?त म? एक मह?वपूण? देवता ह? और उनक? पूजा का मह?व अ?य?धक है। ?शव आरती ?हंद? म? भगवान ?शव क े समप?ण, आराधना, और ?शंसा का एक मह?वपूण? ?ह?सा है, िजसम? उनक? म?हमा का गान होता है। इस लेख म?, हम ?शव आरती क े मह?व और इसक े अथ? को जान?गे, साथ ह? इसका पाठ करने क? ?व?ध को भी देख?गे। ?शव आरती का मह?व: ?शव आरती एक पूजा अ?भुत काय??म है िजसम? भगवान ?शव क? पूजा और ?शंसा क? जाती है। इसका मह?व धा?म?क, मान?सक, और आ?याि?मक होता है। यह आरती भगवान ?शव क े गुण?, गुणगण?, और काय? का ?तु?त करने का एक मा?यम है और भ?त? क े ?वारा उनक े ??त अपनी ??धा और समप?ण का ?तीक होता है। ?शव आरती क े फायदे: मान?सक शां?त: ?शव आरती ?हंद? म? पाठ करने से मान?सक शां?त ?मलती है। यह मन को ?ाणी और ?चंता से मु?त करने म? मदद करता है और आ?मा को शां?त क? ओर ले जाता है। समप?ण भाव: ?शव आरती क े पाठ से भ?त अपने जीवन को भगवान क े समप?ण म? करते ह?। इसक े ?वारा, वे अपने आपको भगवान क े साथ ?मलाते ह? और समप?ण का भाव ?वक?सत करते ह?। धा?म?क मह?व: ?शव आरती का पाठ करने से भ?त अपने धा?म?क और आ?याि?मक जीवन को सुधारते ह?। यह उ?ह? धा?म?क माग? पर चलने क े ?लए ?ो?सा?हत करता है। संयम और शि?त: ?शव आरती क े पाठ से भ?त अपने आपको संय?मत रखने म? सहायक होता है और उ?ह? आ?मा क? ऊजा? और शि?त क? आव?यकता होती है। ?शव आरती का पाठ क ै से कर?: ?शव आरती को पाठ करने क े ?लए कुछ साम?ी और ?व?ध क? ज?रत होती है। यहां एक सरल तर?का ?दया गया है: साम?ी: ?शव आरती ?हंद? म? पाठ करने क े ?लए एक छोट? सी आरती क? पु?तक क? आव?यकता होती है, िजसम? ?शव जी क? म?हमा और गुण? का वण?न होता है। एक छोट? सी द?पक क? आव?यकता होती है, िजसे घी या ?तल क े तेल से भरकर रख?। पूजा क े ?लए फूल, धूप, और नैवे?य क? आव?यकता होती है। पाठ क? ?व?ध: ?शव आरती का पाठ सफाई और शु??ध क े साथ कर?। पूजा ?थल पर बैठ? और मन को शांत कर?। द?पक को ??व?लत कर? और उसे ?शव मू?त?क े सामने रख?। ?शव आरती क? पु?तक को ?यान से खोल? और आरती का पाठ कर?।

  2. आरती क े अंत म?, द?पक क? ?दशा म? घूमाकर ?फर ?शव मू?त?क े सामने रख?। फूल, धूप, और नैवे?य को भगवान ?शव क े ??त सम?प?त कर?। मन म? ?शव जी क े ??त भि?त और समप?ण का भाव रख?। आरती क े पाठ क े बाद, ?यान म? बैठकर भगवान ?शव का ?यान कर? और उनक? कृपा का ?ाि?त कर?। ?शव आरती क े बोल: यहां ?शव आरती क े कुछ मह?वपूण? बोल ?दए जा रहे ह?, जो भगवान ?शव क? म?हमा का गान करते ह?: ॐ जय ?शव ओमकारा, ?वामी जय ?शव ओमकारा, ??मा, ?व?णु, सदा?शव, अधा?गी धारा. एकानन चतुरानन पंचानन राजे, हंसानां ग?ड़ासन वृषभान सजे। ॐ जय ?शव ओमकारा… दो भुज चार चतुभु?ज दस भुज ते सोहे, ?वामी दास भुज ते सोहे, ?तन? ?प ?नराखते ??भुवन जन मोहे। ॐ जय ?शव ओमकारा… अ?माला वनमाला मुंडमाला धार?, चंदन मृगमद सोहे, भले श?श धार?। ॐ जय ?शव ओमकारा… ?वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे, सनका?दक ??मा?दक भूता?दक संगे। ॐ जय ?शव ओमकारा… कर पु?ष ?े?ठ कमंडलु च? ??शूल, जग कता? जग हता? जग पालन करता। ॐ जय ?शव ओमकारा… ??म ?व?णु सदा?शव जानत अ?ववेक, ?णवा?र म? ?शव गुण गावेका। ॐ जय ?शव ओमकारा… जय ?शव ओंकारा, ?वामी जय ?शव ओंकारा, ??मा ?व?णु सदा?शव, अधा?गी धारा। ॐ जय ?शव ओमकारा…

  3. धूप द?प फल मेवा मान ?स?दूर ले?पत, ॐ हर ?शव शंकर अपनी कृपा करो ?भु देत। ॐ जय ?शव ओमकारा… ?शव आरती जो कोई नर दे, कहत ?शवानंद ?वामी मन वं?चत फल पावे। ॐ जय ?शव ओमकारा… ॐ जय ?शव ओमकारा, ?वामी जय ?शव ओमकारा, ??मा, ?व?णु, सदा?शव, अधा?गी धारा | इस ?कार, ?शव आरती क े बोल भगवान ?शव क? म?हमा का गान करते ह? और भ?त? को उनक े अ??वतीय गुण? का अनुभव कराते ह?। समापन: ?शव आरती भगवान ?शव क? म?हमा का गान करने का एक अ??वतीय तर?का है और इसका मह?व धा?म?क और आ?याि?मक ?ि?ट से बहुत उ?च होता है। यह आरती भ?त? को मान?सक शां?त, समप?ण भाव, और धा?म?क संवाद का मा?यम ?दान करती है। ?शव आरती को ?नय?मत ?प से पाठ करक े , हम अपने जीवन म? सकारा?मक बदलाव ला सकते ह? और भगवान ?शव क े आशीवा?द को ?ा?त कर सकते ह?। इस?लए, ?शव आरती का पाठ करक े हम अपने आ?मा क? ऊजा? को नया ?दशा दे सकते ह? और जीवन को मानवीयता और धा?म?कता क? ?दशा म? अ?सर कर सकते ह?।

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