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E N D
1. महामृत्युंय मंत्र जाप, अर्थ, विधीऔर लाभ
2. महामृत्युंजय मंत्र महामृत्युंजय मंत्र धार्मिक मंत्र है जिसके के अलग-अलग नाम और रूप हैं लेकिन इसे "रुद्र मंत्र" के रूप में भी जाना जाता है। रुद्र मंत्र मे "रूद्र" शब्द का अर्थ भगवान त्र्यंबकेश्वर (भगवान शिव) का उग्र स्वरूप में जाना जाता है। "महामृत्युंजय" शब्द मुख्यतः तीन शब्दों को मिलकर बना हुआ शब्द है जिसका अर्थ, महा (महान), मृत्युंजय (मृत्यु), और जया (मतलब विजय), जिसका संक्षिप्त अर्थ मृत्यु पर जीत हासिल करना है। ये धार्मिक मंत्र प्राचीन हिंदू पाठ ऋषि वशिष्ठ द्वारा लिखित ऋग्वेद में पाया गया है (ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद में इसका उल्लेख पाया गया है), जो भगवान शिव (त्र्यंबकेश्वर) को समर्पित है। बहुत से लोग इसे सबसे शक्तिशाली "त्र्यंबकम मंत्र" से भी जानते है, जिसमें भगवान शिव की तीन आंखों का जिक्र है। महामृत्युंजय का मुख्यतः अर्थ है, बुरी चीजों और आत्मा से अलग होने के भ्रम पर विजय पाना। महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद (आर.वी. ७. ५९. १२) की एक पंक्ति है, जिसे भगवान त्र्यंबकेश्वर (भगवान शिव) को संबोधित किया जाता है। महामृत्युंजय जाप सभी मंत्रों में सबसे शक्तिशाली मंत्र है जिसके पठन से भक्तो को सर्वोच्च देवता श्री भगवान् त्र्यंबकेश्वर का आशिर्वाद प्राप्त होता है।
3. महामृत्युंजय मंत्र का महत्वपूर्णअर्थ महामृत्युंजय मंत्र का महत्वपूर्ण अर्थ यह है की, हम प्रमुख देवता भगवान त्र्यंबकेश्वर (शिव) की पूजा करते हैं, जो सभी जीवों और प्राणिमात्राओ को पोषण प्रदान करते हैं, उनकी प्रार्थना करते हुए, हम स्वस्थ जीवन और मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। Read More: https://www.purohitsangh.org/hindi/
4. महामृत्युंजय जाप विधी कोई भी व्यक्ति कभी भी इस शक्तिशाली मंत्र का जाप कर सकता लेकिन हमारे पुरोहितों द्वारा यह सुझाव दिया जाता है की महामृत्युंजय जाप विधी त्र्यंबकेश्वर मंदिर, नासिक में और सुबह जल्दी ब्रह्मा मुहूरत में ही करना उचित है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर ऐसा पवित्र स्थान है जहाँ सभी अनुष्ठानों को धार्मिक रूप से संपन्न किया जाता है, और इसे १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक के स्वरूप में भी माना जाता है। महामृत्युंजय जाप विधी को स्नान (शरीर शुद्धिकरण) के बाद ब्रह्मा मुहूरत (सुबह ४:० ० बजे) किया जाना चाहिए। उसके बाद "आचमन" करना चाहिए और बाद में पूर्व की ओर का सामना करके प्राणायाम करने के बाद ध्यान केंद्रित करके, आसन पर बैठकर फिर महामृत्युंजय जाप (" ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।, उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥") करना उचित है। Read More: https://www.purohitsangh.org/
5. महामृत्युंजय जाप मंत्र के अनेक लाभ • भगवान शिव की तीसरी आंख तब खोली गई जब वे निरंतर चिंतन, ध्यान, जाप में मग्न थे। भगवान शिव वह हैं जो सभी भक्तों को आध्यात्मिक तप के लिए मार्गदर्शन करते हैं। इसलिए, महामृत्युंजय मंत्र का पठन समय, हम मृत्यु को जीतने के लिए भगवान शिव की साधना करते है। महामृत्युंजय जाप की शक्ति इतनी चरम है कि कोई भी मृत व्यक्ति को वापस जीवनदान हो सकता है। • इस धार्मिक महामृत्युंजय जाप को करने के बहुत सारे लाभ कुछ इस प्रकार दिए हैं: • 1. धार्मिक रूप से जाप करने से किसी भी व्यक्ति को अकाल मृत्यु, गंभीर / दीर्घकालीन रोगों, और बुरी आत्माओं से बचाया जा सकता है। • 2. यह माना जाता है कि, महामृत्युंजय मंत्र का जोर से और स्पष्ट रूप से (पठन ) उच्चारण करना उचित है, जिससे सकारात्मक प्रभाव और कंपन की निर्मिति होती है, और आसपास के सभी नकारात्मक ऊर्जाओ का नाश होकर स्वचालित रूप से वातावरण सकारात्मक ऊर्जाओं से भर जाता है। • 3. इस धार्मिक मंत्र में उपचार करने की भी अपार शक्ति है, इसलिए बहोत से लोग "महामृत्युंजय यंत्र" का उपयोग रोग मुक्त, लंबी आयु के लिए किया जाता है।
5. महामृत्युंजय जाप मंत्र के अनेक लाभ • 4. महामृत्युंजय मंत्र के कई चमत्कार सार्वभौम दर्ज हैं, इस मंत्र के सकारात्मक धार्मिक प्रभाव हैं, जिसके प्रत्येक शब्द के उच्चारण में भी उपचारात्मक प्रभाव रखता है। भक्त को ये जाप सभी बीमारियों और असामयिक, अप्राकृतिक मृत्यु से लाभ और लंबी बीमारी से स्वस्थ होने में मदद करता है । • 5. यह माना जाता है की, १०८ बार जाप करना एकता दर्शाता है, प्रतिदिन १०८ बार महामृत्युंजय जाप करने से अधिकतम लाभ प्राप्त होता है। • 6. महामृत्युंजय जाप एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है जो सभी प्रकार के भय (जैसे मृत्यु का भय) को दूर करता है, और मनुष्य को साहस देता है। • 7. जब भक्तों ने पूरी श्रद्धा के साथ इस आध्यात्मिक मंत्र का जाप किया, तो भगवान के आशिर्वाद से सभी इच्छाएं / आकांक्षाएं पूरी होती है। • 8. सभी प्रकार के दुखों, तनाव, समस्याओं और परेशानियों, ग्रह दोष से भी छुटकारा मिलता है, और त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नासिक) में १०८ जाप करने से अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या, लालच और घृणा जैसे दुश्मनों पर विजय प्राप्त होता है।
6. CONTACT US त्र्यंबकेश्वर के पवित्र स्थान पर "पुरोहित संघ" संस्थान आपका स्वागत करता है।सभी भक्तों और प्रशंसकों को विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने का एकमात्र उद्देश्य रखकर "पुरोहित संघ" काम कर रहा है। नाम और रूप को आवश्यकता के अनुसार बदल कर यह संस्थान पिछले १२००वर्षों से काम कर रहा है, लेकिन अभी भी संस्था का उद्देश्य सभी भक्तों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए समान है। सभी अधिकृत पुरोहित, "पुरोहित संघ" संस्थान के लिए काम कर रहे हैं और वे ७०० साल पुराने शास्त्रों, छत्रपति शिवाजी महाराज द्धारा लेख, हस्तलेख, धर्मग्रंथ और अन्य क्षेत्रों के वैदिक, उद्योगपति, और प्रतिष्ठित व्यक्तियों की हस्तलेख के लिए एक विशिष्ट पहचान है। पता : श्री गंगा गोदावरी मंदिर, पहली मंजिल, कुशावर्त तीर्थ चौक,त्रिंबकेश्वर - 422212. जिला: नासिक (महाराष्ट्र)पंडितजी Contact Us:info@purohitsangh.org Website: www.purohitsangh.org