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जीना सीखो भोपाल हॉस्पिटल में बुखार (FEVER) के लिए आयुर्वेदिक प्रोटोकॉल by पंकज आयुर्वेद
आयुर्वेद के अनुसार बुखार क्या है? आयुर्वेद के अनुसार बुखार (ज्वर) एक प्रमुख रोग है, जिसे "सर्वरोगाणां जनकः" कहा गया है — यानी यह अनेक रोगों का कारण बन सकता है। ज्वर का अर्थ है शरीर का तापमान असंतुलित हो जाना, जो त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) के विकृति के कारण होता है।
ज्वर के कारण • दोषों का असंतुलन (वात, पित्त, कफ) • अजीर्ण या अपच (Indigestion) • अम (टॉक्सिक पदार्थ) का शरीर में संचय • बाह्य कारक जैसे संक्रमण, ऋतु परिवर्तन • मानसिक तनाव या चिंता
आयुर्वेद में ज्वर के प्रकार • वातज ज्वर • पित्तज ज्वर • कफज ज्वर • संन्निपातज ज्वर (तीनों दोषों का सम्मिलित प्रभाव) • आमज ज्वर (अम दोष के कारण) • विषम ज्वर (अनियमित बुखार – जैसे मलेरिया)
जीना सीखो HIIMS हॉस्पिटल में बुखार के लिए प्रोटोकॉल
1. भोजन तुरंत बंद करें • बुखार होने पर पहले 3 दिन तक अन्न बिल्कुल न लें। • विशेष रूप से छोड़ना है: • गेहूं, चावल, रोटी • दूध, चाय, कॉफी • कोई भी भारी या तला-भुना भोजन
2. क्या लें? • नारियल पानी • मौसमी का रस • संतरे का रस • गुनगुना पानी • हर्बल टी (तुलसी, अदरक, दालचीनी आदि से बनी)
3. LOWER LEG HOT WATER IMMERSION THERAPY • दो बाल्टी लें: • एक में 42 डिग्री सेल्सियस गर्म पानी • दूसरी में 50 डिग्री या उससे अधिक गर्म पानी • 42 डिग्री वाली बाल्टी में दोनों पैर डुबोकर बैठें – लगभग 40 से 45 मिनट तक। • इसमें 2–3 बूँदें लैवेंडर ऑयल की डालें, जिससे आपको मानसिक शांति और सुगंध मिले।
4. जल नेती करें दिन में एक बार जल नेती करें, जिससे नाक के रास्ते साफ हों और शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़े।
5.हर्बल टी और गरम पानी • जल नेती के बाद गर्म पानी या हर्बल टी सिप-सिप करके पिएं। • इससे शरीर डिटॉक्स होता है और बुखार जल्दी उतरता है।
प्रभाव: यह प्रोटोकॉल पहले ही बार में 90% से अधिक लोगों का बुखार ठीक कर देता है। यदि बुखार पहली बार में न उतरे, तो आप इसे दिन में दो बार — एक बार सुबह और एक बार शाम को — दोहरा सकते हैं। इससे आपका बुखार पूरी तरह उतर जाएगा, वह भी बिना किसी दवा के।
संपर्क करें • वेबसाइट: www.jeenasikho.com • ईमेल: care@jeenasikho.com • आपके स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक जीवनशैली से जुड़े हर सवाल के लिए हम उपलब्ध हैं