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श्री महाराज जी के दिव्यातिदिव्य प्रवचनों की विशेषता

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श्री महाराज जी के दिव्यातिदिव्य प्रवचनों की विशेषता

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Presentation Transcript


  1. ?ी महाराज जी क े ?द?या?त?द?य ?वचन? क? ?वशेषता जग?गु? ?ी कृपालु जी महाराज वेदमाग???त?ठापनाचाय? ह?। उ?ह?ने जो वेदमाग? ??त?ठा?पत ?कया है वह साव?भौ?मक है। वै?दक ?स?धा?त? क े सार को ?कट करते हुए जग?गु? ?ी कृपालु जी महाराज ने भगव??ाि?त का सव?सुगम सव?सा?य माग? को ?श?त ?कया। उ?ह?ने वेद? शा??? पुराण? एवं अ?याय धम???थ? म? जो मतभेद सा है, उसका पूण??पेण ?नराकरण करक े बहुत ह? सरल माग? क? ??त?ठापना क? है, जो अ??वतीय एवं अभूतपूव? है, साथ ह? क?लयुग म? सभी जीव? क े ?लये ?ा?य है। क?ठन से क?ठन शा??ीय ?स?धा?त? को भी जनसाधारण क े ?लये बोधग?य बनाना उनक? ?वचन शैल? क? ?वशेषता है। गूढ़ से गूढ़ शा??ीय ?स?धा?त? को इतनी मनमोहक सरल शैल? म? ??तुत करते ह? ?क मंद से मंद बु??ध वाले भी ?नर?तर ?वण करने से ऐसे त?व? बन जाते ह? जो बड़े-बड़े ?व?वान ता?क ? क? को भी तक ? ह?न कर देते ह?। सरलता और सरसता क े साथ-साथ दै?नक जीवन म? ??या?मक अनुभव? का ?म?ण उनक े ?वचन क? बहुत बड़ी ?वशेषता है। बोल-चाल क? भाषा म? ह? वह क?ठन से क?ठन शा??ीय ?स?धा?त? को जीव? क े मि?त?क म? भर देते ह?। ?ो??य ??म?न?ठ महापु?ष ह? ऐसा करने म? स?म हो सकता है। जब ?वचन? म? ?माण?व?प शा??? वेद? क े ?लोक बोलते ह?, तो ऐसा ?तीत होता है, तो ऐसा ?तीत होता है, मान? सम?त शा?? वेद उनक े सामने हाथ जोड़कर उपि?थत ह? और वे एक क े बाद एक प?ने पलटते जा रहे ह?। काशी www.jkp.org.in

  2. ?व?व?प?रषत् ?वारा ?द? उपा?ध '?ीम?पदवा?य?माणपारावार?ण' उनक े ?वचन? म? ?प?ट ?ि?टगोचर होती है। जग?गु? ?ी कृपालु जी महाराज क े अमृत वचन ?द?य ह? वे इतने सरल होते ह? ?क उनक? कृपा से घोर से घोर अ?ानी, अंगूठा छाप जीव को भी पूण? त?व?ान हो जाए। जो िजस को?ट का साधक होता है वह अपनी अ?तःकरण क? ि?थ?त क े अनुसार ह? उसे आ?मसात्कर पाता है। हाँ, ये तो सभी अनुभव करते ह? ?क ऐसा ?वल?ण ?वचन पहले कभी नह?ं सुना था। ??येक ?वचन नवीन और ?वल?ण लगता है, हर ?स?धा?त को ??तपा?दत करते समय ?माण? क? झड़ी लग जाती है। वेद, रामायण, भागवत, गीता, कुरान, बाई?बल, उप?नष?, पुराण आ?द से उदाहरण देकर जग?गु? ?ी कृपालु जी महाराज सबका सम?वय करते ह? तभी तो उ?ह? '?न?खलदश?नसम?वयाचाय?' एवं 'जग?गु??म' कहा गया है। जग?गु? ?ी कृपालु जी महाराज क े अलौ?कक ?वचन क े ?वषय म? कुछ भी कहना ?ाकृत बु??ध से स?भव नह?ं है। उनका ?द?य ?वचन वण?नातीत है। जग?गु? ?ी कृपालु जी महाराज क? ?द?य ओज?वी वाणी ?कं?चत्??धापूव?क सुनने मा? से ह? ?दय ?ी राधाकृ?ण ?ेम म? ?वभोर हो जाता है तथा युगल झांक? क े दश?न क? लालसा ती?तर हो जाती है। जग?गु? ?ी कृपालु जी महाराज का ??येक ?वचन गागर म? सागर ह? है। ?ान का अगाध ?संधु है, िजसम? अवगाहन करने पर शु?क से शु?क ?दय भी संशयर?हत होकर ?ेम रस म? डूब जाता है। उनक? ?द?य वाणी उनक े ?वारा ?दये गये हजार? ?वचन क े ?प म?, उनक े ?वारा ?लखे गये '?ेम रस ?स?धांत', '?ेम रस म?दरा', 'भि?त-शतक' इ?या?द ??थ? क े ?प म? एवं भि?त मि?दर, ?ेम मि?दर जैसे ?द?य ?मारक? क े ?प म? सदैव उनक? उपि?थ?त का सा?ात्अनुभव कराते हुये, युग? युग? तक भगव??व िज?ासुओं का माग? दश?न करती रहेगी। ?व?तार जानकार? हेतु हमार? वेबसाइट पर अव?य जाए । www.jkp.org.in

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